Rajasthan Illegal Colonies: जयपुर में इल्लीगल कॉलोनियों (Jaipur illegal colonies) में रहने वाले हजारों परिवारों के लिए राजस्थान सरकार ने बड़ी खुशखबरी दी है। अब इन कॉलोनियों को वैध करने का रास्ता साफ हो गया है। राज्य सरकार ने आवासन मंडल की अवाप्तशुदा और अवाप्तधीन जमीनों पर बसी कॉलोनियों को वैध करने का फैसला लिया है। इससे उन लोगों को बड़ी राहत मिलेगी जो कई वर्षों से बिना पट्टे के अपने घरों में रह रहे थे और किसी भी समय उजड़ने का खतरा था।
राज्य सरकार के इस फैसले से न केवल इन कॉलोनियों में रहने वाले परिवारों को कानूनी सुरक्षा मिलेगी, बल्कि अब ये लोग अपने मकानों का पट्टा (lease deed) भी प्राप्त कर सकेंगे।
87 इल्लीगल कॉलोनियों के लिए शुरू हुई प्रक्रिया
जानकारी के अनुसार, जयपुर में फिलहाल 87 इल्लीगल कॉलोनियां (87 illegal colonies in Jaipur) हैं जिन्हें वैध करने की योजना बनाई गई है। इन कॉलोनियों में हजारों मकान हैं, जहां लोग कई सालों से रह रहे हैं। नगरीय विकास विभाग (Urban Development Department) ने इस दिशा में खास योजना तैयार की है।
इस योजना के तहत गृह निर्माण सहकारी समिति और विकास समितियों को 15 मई तक अपने-अपने कॉलोनियों से संबंधित रिकॉर्ड (records submission) विभाग में जमा करवाना होगा। इसके बाद विभाग द्वारा एक विस्तृत जांच प्रक्रिया शुरू की जाएगी और जिन कॉलोनियों की पात्रता होगी, उन्हें पट्टे दिए जाएंगे।
जुलाई में लगाया जाएगा स्पेशल कैंप
सरकार ने इस प्रक्रिया को पारदर्शी और आसान बनाने के लिए जुलाई माह में विशेष कैंप (regularization camps) लगाने का फैसला भी किया है। इन कैंपों में कॉलोनीवासियों से दस्तावेज लिए जाएंगे और उनकी कॉलोनियों को वैध करने की प्रक्रिया को अंतिम रूप दिया जाएगा।
विभाग ने इस संबंध में पहले ही आदेश जारी कर दिए हैं और संबंधित समितियों को तैयारी करने के निर्देश भी दे दिए गए हैं। ऐसे में कॉलोनीवासियों से अपील की गई है कि वे समय रहते जरूरी कागजात तैयार कर लें ताकि उन्हें पट्टा पाने में कोई दिक्कत न हो।
पिछली सरकार में गड़बड़ियों की वजह से सख्त कदम
इस बार सरकार ने पहले की तुलना में सख्त रुख अपनाया है। पिछली सरकार में इल्लीगल कॉलोनियों को वैध करने में गड़बड़ियों की आशंका रही थी, जिसके चलते इस बार स्थानीय विकास समिति (Local Development Committees) के साथ-साथ गृह निर्माण सहकारी समितियों (Housing Cooperative Societies) से भी रिकॉर्ड लिए जाएंगे।
योजना के अनुसार, समिति की बनाई गई कॉलोनियां 17 जून 1999 से पहले की होनी चाहिए और अन्य योजनाएं 13 दिसंबर 2013 तक सृजित होनी चाहिए। इससे उन कॉलोनियों की पहचान की जाएगी जो सही मायने में पुराने समय से बसी हुई हैं और जिनका पट्टा देना जनहित में होगा।
मास्टर प्लान और जनहित को ध्यान में रखकर पट्टे
सरकार ने स्पष्ट किया है कि कॉलोनियों को वैध करते समय मास्टर प्लान (Master Plan Jaipur), जोनल डेवलपमेंट प्लान (Zonal Development Plan) और भूमि की वर्तमान स्थिति को ध्यान में रखा जाएगा। जिन कॉलोनियों में इल्लीगल निर्माण मास्टर प्लान के अनुरूप नहीं हैं या जहां सार्वजनिक हित प्रभावित हो सकता है, वहां विशेष सतर्कता बरती जाएगी।
इस बार सरकार ने भूमि उपयोग में भी लचीलापन दिखाते हुए उन कॉलोनियों को वैध करने का रास्ता निकाला है जहां अब आवासीय विकास हो चुका है और मूल उद्देश्य पूरा करना पॉसिबल नहीं है। इससे कई ऐसी कॉलोनियों को राहत मिलेगी जो आवासन मंडल की अधिग्रहीत भूमि (acquired land by housing board) पर बसी हुई हैं।
पट्टा मिलने से क्या होंगे फायदे
कॉलोनियों को वैध कर पट्टा मिलने से सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि वहां रहने वाले लोगों को कानूनी मान्यता मिलेगी। अब वे न केवल अपने घरों की खरीद-फरोख्त (property sale-purchase) कर सकेंगे बल्कि बैंकों से लोन भी प्राप्त कर सकेंगे।
इसके साथ ही पट्टा मिलने से बिजली-पानी जैसी मूलभूत सुविधाओं (basic amenities) के लिए भी आसानी से आवेदन किया जा सकेगा। इससे अब तक इल्लीगल कहे जाने वाले इन इलाकों में भी विकास की रफ्तार बढ़ेगी और लोग बिना किसी डर के अपनी संपत्ति पर अधिकार जता सकेंगे।
इल्लीगल कॉलोनियों में क्यों रह रहे हैं लोग?
जयपुर जैसे बड़े शहरों में बढ़ती आबादी और महंगे प्लॉट्स के चलते कई परिवारों ने सस्ती दरों पर इल्लीगल कॉलोनियों में जमीनें खरीदीं। धीरे-धीरे इन कॉलोनियों में घर बनते गए और वहां बस्तियां बस गईं।
सरकारी रिकॉर्ड में ये कॉलोनियां इल्लीगल (illegal) हैं क्योंकि इनका निर्माण बिना पर्मिशन और मास्टर प्लान के खिलाफ किया गया था। लेकिन इन कॉलोनियों में रहने वाले लोगों की मजबूरी थी कि उन्हें कम बजट में शहर में रहने का ऑप्शन चाहिए था।
अब सरकार के इस फैसले से उन सभी लोगों को राहत मिलेगी जो वर्षों से पट्टे और कानूनी मान्यता का इंतजार कर रहे थे।
सरकार के कदम से क्या बदलेगा?
सरकार के इस फैसले से जयपुर शहर की इल्लीगल कॉलोनियों में रह रहे लाखों लोगों को न केवल राहत मिलेगी, बल्कि इससे शहर में अव्यवस्थित विकास (unplanned development) पर भी रोक लगेगी। जब कॉलोनियां वैध होंगी तो वहां मास्टर प्लान के तहत ही विकास कार्य किए जाएंगे।
इसके अलावा, इससे नगर निगम और विकास प्राधिकरण को भी राजस्व (revenue) प्राप्त होगा क्योंकि पट्टे मिलने के बाद प्रॉपर्टी टैक्स (property tax) और अन्य शुल्क जमा होंगे। साथ ही, सड़क, नाली, बिजली और पानी जैसी सुविधाओं में भी सुधार होगा।