New Railway Line: बुधवार को संसद में एक अहम जानकारी देते हुए रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि बिलासपुर-मनाली-लेह रेलवे लाइन प्रोजेक्ट की कुल अनुमानित लागत 1.31 लाख करोड़ रुपये होगी। इस परियोजना के तहत लद्दाख और कारगिल जैसे दुर्गम और सामरिक महत्व के इलाकों को जोड़ने की योजना है। रेल मंत्री ने कहा कि यह रेलवे लाइन लद्दाख क्षेत्र तक पहुंचेगी और कारगिल को भी इससे जोड़ा जाएगा। इससे इस पूरे क्षेत्र में कनेक्टिविटी (Connectivity in Ladakh and Kargil) को मजबूती मिलेगी और स्थानीय लोगों के साथ-साथ सेना को भी बड़ा फायदा होगा।
लद्दाख के लिए क्यों खास है यह रेलवे प्रोजेक्ट?
लद्दाख एक ऐसा क्षेत्र है जो देश के बाकी हिस्सों से काफी समय तक कट जाता है, खासकर सर्दियों में जब भारी बर्फबारी के कारण सड़कें बंद हो जाती हैं। ऐसे में बिलासपुर-मनाली-लेह रेलवे लाइन (Bilaspur-Manali-Leh Railway Line) यहां के लोगों के लिए जीवन रेखा साबित हो सकती है। रेल मंत्री ने लोकसभा में बताया कि इस प्रोजेक्ट की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (DPR) तैयार कर ली गई है और इसे रक्षा मंत्रालय ने एक ‘Strategic Railway Project for Ladakh’ के रूप में चिह्नित किया है।
489 किलोमीटर लंबी रेल लाइन
यह रेलवे लाइन कुल 489 किलोमीटर लंबी होगी और इसका सर्वेक्षण पूरा हो चुका है। अब आगे की प्रक्रिया तेजी से शुरू होगी। इस प्रोजेक्ट के तहत बिलासपुर से मनाली और वहां से लेह तक सीधी रेल सेवा मिलेगी। यह रास्ता उन क्षेत्रों से होकर गुजरेगा जो सामरिक दृष्टि से बेहद अहम माने जाते हैं। लद्दाख और कारगिल जैसे दुर्गम इलाकों में रेलवे लाइन बिछने से सेना की पहुंच और आपूर्ति (Logistics and Connectivity for Army) काफी बेहतर हो जाएगी। साथ ही स्थानीय लोगों को भी दिल्ली और बाकी बड़े शहरों से जुड़ने में आसानी होगी।
श्रीनगर-कारगिल-लेह रेलवे लाइन
इससे पहले केंद्र सरकार ने श्रीनगर-कारगिल-लेह रेलवे परियोजना पर काम शुरू किया था। यह परियोजना लगभग 480 किलोमीटर लंबी थी और इसकी अनुमानित लागत करीब 55,896 करोड़ रुपये थी। साल 2016-17 में इसका सर्वेक्षण भी कराया गया था। लेकिन रेल मंत्री ने बताया कि इस प्रोजेक्ट को आगे नहीं बढ़ाया गया क्योंकि इस रूट पर यातायात (Traffic Potential) की संभावना कम आंकी गई।
इसके मुकाबले बिलासपुर-मनाली-लेह रेलवे लाइन से ज्यादा लाभ होने की उम्मीद है क्योंकि यह न सिर्फ स्थानीय लोगों के लिए बल्कि सेना के लिए भी रणनीतिक रूप से ज्यादा अहम है।
सामरिक और विकास दोनों का मेल
बिलासपुर-मनाली-लेह रेलवे लाइन सामरिक और विकास दोनों ही नजरिए से एक बड़ा कदम मानी जा रही है। यह रेलवे लाइन भारतीय सेना (Indian Army Logistics Support) के लिए आपूर्ति और त्वरित आवाजाही में मददगार साबित होगी। कारगिल और लद्दाख के दुर्गम क्षेत्रों में सेना को हर मौसम में पहुंचाने के लिए यह रेल मार्ग बेहद कारगर रहेगा।
साथ ही, इस परियोजना से इन इलाकों में व्यापार और पर्यटन (Boost to Trade and Tourism in Ladakh) को भी बढ़ावा मिलेगा। भारी बर्फबारी के कारण जब सड़कें बंद हो जाती हैं, उस समय भी रेलवे के जरिए लोगों और सामान की आवाजाही संभव हो सकेगी।
पर्यटन को मिलेगा जबरदस्त बढ़ावा
बिलासपुर-मनाली-लेह रेलवे लाइन हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के पर्यटन क्षेत्र के लिए भी वरदान साबित हो सकती है। मनाली और लेह पहले से ही देश-विदेश के पर्यटकों के बीच बेहद लोकप्रिय हैं। सड़क मार्ग से सफर करने में समय ज्यादा लगता है और सर्दियों में मनाली-लेह मार्ग बंद हो जाता है। लेकिन रेलवे लाइन शुरू होने से पूरे साल यहां आना-जाना आसान हो जाएगा।
रेल मंत्री ने बताया कि इस रेलवे लाइन से पर्यटन क्षेत्र में निवेश (Investment in Tourism Sector) और रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। स्थानीय गाइड, होटल व्यवसाय और ट्रांसपोर्ट सेवा से जुड़े लोगों के लिए यह प्रोजेक्ट नई संभावनाओं के द्वार खोलेगा।
स्थानीय लोगों की उम्मीदें और भावनाएं
लद्दाख और कारगिल के लोगों के लिए यह रेलवे लाइन एक सपने के पूरे होने जैसा है। यहां के लोग सालों से सड़क और रेल कनेक्टिविटी की कमी से जूझ रहे हैं। सर्दियों में भारी बर्फबारी के कारण लद्दाख के कई गांव देश के बाकी हिस्सों से कट जाते हैं।
स्थानीय निवासी अब इस प्रोजेक्ट के पूरा होने का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। इससे न सिर्फ उनकी रोजमर्रा की जिंदगी आसान होगी बल्कि आर्थिक विकास (Economic Growth in Ladakh and Kargil) के नए रास्ते भी खुलेंगे। स्कूल, अस्पताल और बिजनस गतिविधियों में भी तेजी आने की उम्मीद है।
कब तक पूरा होगा यह प्रोजेक्ट?
हालांकि रेल मंत्री ने संसद में इस बात की जानकारी नहीं दी कि यह प्रोजेक्ट कब तक पूरा होगा, लेकिन जानकारों के अनुसार इसे कई चरणों में पूरा किया जाएगा। सर्वेक्षण (Survey Completed) पूरा हो चुका है और अब डीपीआर के आधार पर भूमि अधिग्रहण (Land Acquisition) और निर्माण कार्य तेजी से शुरू होगा।
इस तरह के बड़े और कठिन प्रोजेक्ट्स में समय और लागत दोनों ही ज्यादा लगते हैं, लेकिन सरकार इस परियोजना को प्राथमिकता पर रख रही है। जल्द ही निर्माण कार्य शुरू होने की उम्मीद है।