Haryana Ka Mausam: हरियाणा एक बार फिर से घने कोहरे की चपेट में आ गया है. शुक्रवार को पूरे दिन आसमान बादलों से ढका रहा और शाम होते ही राज्य के कई इलाकों में घना कोहरा छा गया. विजिबिलिटी बेहद कम होकर 10 से 25 मीटर तक सिमट गई, जिससे सड़क और रेल यातायात बुरी तरह प्रभावित हुआ. हिसार, भिवानी, रोहतक, झज्जर, फतेहाबाद, सिरसा, चरखी दादरी, पानीपत, अंबाला, जींद, सोनीपत, कुरुक्षेत्र और रेवाड़ी जिलों में कोहरा और धुंध छाई रही.
तापमान में गिरावट लेकिन कड़ाके की ठंड नहीं
मौसम विभाग के अनुसार तापमान में और गिरावट की संभावना बनी हुई है. लेकिन इस दौरान अत्यधिक ठंड नहीं पड़ेगी. सुबह और रात के समय ठंड का असर ज्यादा रहेगा. लेकिन दिन के समय हल्की धूप निकल सकती है. जिससे थोड़ी राहत मिलेगी.
फरवरी के पहले सप्ताह में बदलेगा मौसम
मौसम विशेषज्ञों के अनुसार, 3 और 4 फरवरी को पश्चिमी विक्षोभ के प्रभाव से हरियाणा के अधिकांश हिस्सों में तेज बारिश होने की संभावना है. इसके अलावा, शनिवार से पहले एक हल्का पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय हो सकता है, जो हल्की बूंदाबांदी ला सकता है. लेकिन इसके बाद सक्रिय होने वाले दूसरे विक्षोभ के कारण राज्य में भारी बारिश की संभावना है. इस बदलाव से तापमान में गिरावट होगी और ठंड एक बार फिर बढ़ सकती है.
5 फरवरी तक बारिश की संभावना
मौसम विभाग की रिपोर्ट के अनुसार पश्चिमी पंजाब और पाकिस्तान के ऊपर बने कम दबाव के क्षेत्र के कारण सिरसा, फतेहाबाद, जींद, कैथल, हिसार, कुरुक्षेत्र, अंबाला, यमुनानगर और पंचकूला में 5 फरवरी तक बारिश के आसार हैं. इसके अलावा कुछ इलाकों में ओले गिरने और घने कोहरे की स्थिति बनी रह सकती है.
किसानों के लिए सतर्क रहने की सलाह
मौसम में इस बदलाव को देखते हुए किसानों को सतर्क रहने की सलाह दी गई है. बारिश और ओले गिरने से रबी की फसलों को नुकसान पहुंच सकता है. खासतौर पर गेहूं, सरसों और चने की फसलों को ज्यादा खतरा हो सकता है. मौसम विभाग ने किसानों को सलाह दी है कि वे फसलों की सुरक्षा के लिए उचित प्रबंध करें और मौसम की अपडेट पर लगातार नजर बनाए रखें.
जनवरी में कम बारिश, फरवरी में होगी अच्छी बरसात
जनवरी का महीना अपेक्षाकृत शुष्क रहा और इस दौरान सामान्य से कम बारिश हुई. हालांकि फरवरी के पहले सप्ताह में दो से तीन पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय होने की संभावना है. जिससे राज्य में अच्छी बारिश हो सकती है. इससे न केवल ठंड बढ़ेगी, बल्कि जल संसाधनों में भी वृद्धि होगी, जो खेती के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है.