Private School Fees: जबलपुर में निजी स्कूलों द्वारा नियमों का उल्लंघन कर फीस में भारी वृद्धि और अवैध वसूली का मामला सामने आया है। इस मुद्दे पर कलेक्टर दीपक सक्सेना ने सख्त कदम उठाते हुए चार प्रमुख स्कूलों पर कार्रवाई की है। इन स्कूलों से लगभग 63,000 छात्रों से 38.9 करोड़ रुपये की अवैध वसूली की गई थी। इसके बाद इन स्कूलों को यह राशि वापस करने और 2-2 लाख रुपये का जुर्माना भरने के आदेश दिए गए हैं। हालांकि, इस कार्रवाई के बावजूद अभिभावकों में असंतोष की भावना बनी हुई है।
63,000 बच्चों से वसूले गए 38.9 करोड़ रुपये
जबलपुर में चार प्रमुख निजी स्कूलों ने नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए हजारों छात्रों से करोड़ों रुपये वसूले।
- सेंट जोसेफ कॉन्वेंट गर्ल्स सीनियर सेकेंडरी स्कूल (कैंट): 21,827 छात्रों से 10.90 करोड़ रुपये।
- ग्रेवियल हायर सेकेंडरी स्कूल (रांझी): 27,240 छात्रों से 17.42 करोड़ रुपये।
- दिल्ली पब्लिक स्कूल: 9,828 छात्रों से 6.97 करोड़ रुपये।
- रॉयल सीनियर सेकेंडरी स्कूल (संजीवनी नगर): 4,114 छात्रों से 3.61 करोड़ रुपये।
कलेक्टर ने लिया सख्त एक्शन
जबलपुर कलेक्टर दीपक सक्सेना ने इन चार स्कूलों को वसूली गई राशि वापस करने का आदेश दिया है। साथ ही, प्रत्येक स्कूल पर 2-2 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है, जिसे 30 दिनों के भीतर जमा करना होगा।
- अवैध वसूली पर रोक: प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि अवैध वसूली के मामलों में किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
- जिला शिक्षा समिति की भूमिका: स्कूलों की ऑडिट रिपोर्ट की जांच कर दोषी पाए गए स्कूलों पर कार्रवाई की जा रही है।
केवल कागजों तक सीमित कार्रवाई
हालांकि प्रशासन की ओर से कार्रवाई की गई है, लेकिन अभिभावकों का मानना है कि यह केवल कागजों तक सीमित है।
- पेरेंट्स एसोसिएशन का विरोध: अभिभावकों ने भूख हड़ताल कर प्रशासन से तुरंत कार्रवाई की मांग की।
- फीस वापसी की प्रक्रिया अधूरी: अभिभावकों का आरोप है कि स्कूलों ने अब तक फीस वापसी की प्रक्रिया शुरू नहीं की है।
- नए फीस स्ट्रक्चर का अभाव: स्कूलों ने अब तक नए शुल्क ढांचे को लागू नहीं किया है, जिससे छात्रों को परीक्षाओं में शामिल होने से रोका जा रहा है।
जल्दी होगी कानूनी कार्रवाई
कलेक्टर दीपक सक्सेना ने कहा है कि सभी दोषी स्कूलों पर कानूनी कार्रवाई जल्द की जाएगी।
- ऑडिट रिपोर्ट की जांच: स्कूलों की वित्तीय रिपोर्ट की गहन जांच की जा रही है।
- सुनवाई का मौका: दोषी पाए गए स्कूलों को अपनी बात रखने का पूरा अवसर दिया जा रहा है।
- संविधानिक अधिकार: कुछ स्कूलों ने हाई कोर्ट और राज्य सरकार के सामने अपील की है, जो उनका संवैधानिक अधिकार है।
निजी स्कूलों की मनमानी जारी
अवैध फीस वसूली के खिलाफ कलेक्टर के आदेशों को निजी स्कूलों ने अनदेखा किया है।
- हाई कोर्ट में अपील: स्कूल प्रशासन ने आदेशों के खिलाफ हाई कोर्ट का रुख किया है।
- फीस वापसी में देरी: कोर्ट से कोई स्पष्ट स्टे न होने के बावजूद, फीस वापसी की प्रक्रिया में देरी हो रही है।
- अभिभावकों की परेशानी: स्कूलों का रवैया अभिभावकों को निराश कर रहा है।
प्रशासन का एक्शन
प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि फीस वसूली को लेकर किसी भी तरह की मनमानी को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
- फीस वापसी के आदेश: सभी अवैध वसूली गई राशि को वापस करने का आदेश दिया गया है।
- स्कूल मान्यता पर खतरा: दोषी स्कूलों की मान्यता रद्द करने पर विचार किया जा रहा है।
- फर्जीवाड़े पर रोक: फीस वसूली में पारदर्शिता लाने के लिए कड़े कदम उठाए जा रहे हैं।