Ration Card Scheme: राजस्थान सरकार ने खाद्य सुरक्षा योजना के तहत ई-केवाईसी नहीं कराने वाले उपभोक्ताओं का राशन रोक दिया है। सरकार के इस फैसले से करीब 34 लाख उपभोक्ताओं पर असर पड़ेगा। 31 जनवरी तक प्रदेश में इन उपभोक्ताओं ने अपनी ई-केवाईसी नहीं कराई थी, जिसके चलते फरवरी महीने में उन्हें सरकारी राशन नहीं मिलेगा।
केंद्र सरकार के निर्देश पर हो रही थी ई-केवाईसी प्रक्रिया
खाद्य सुरक्षा योजना के राशन कार्डधारकों की ई-केवाईसी प्रक्रिया पिछले दो सालों से चल रही थी। केंद्र सरकार के निर्देशानुसार, राज्य सरकार ने इस योजना के तहत सभी लाभार्थियों की ई-केवाईसी कराने की प्रक्रिया शुरू की थी। हालांकि, अब भी लाखों उपभोक्ताओं ने यह प्रक्रिया पूरी नहीं की है।
पॉश मशीनों पर राशन कार्ड होंगे लॉक
राज्य के खाद्य एवं आपूर्ति विभाग ने ई-केवाईसी नहीं कराने वाले उपभोक्ताओं के खाद्य सुरक्षा कार्ड को पॉश मशीनों पर लॉक कर दिया है। इसका सीधा असर उन लाखों लोगों पर पड़ेगा जो सरकार द्वारा दिए जाने वाले गेहूं और अन्य खाद्य सामग्री पर निर्भर हैं।
किन उपभोक्ताओं को नहीं करानी होगी ई-केवाईसी?
राज्य सरकार ने 10 साल से कम उम्र के बच्चों और 60 साल से अधिक उम्र के बूढ़े नागरिकों को ई-केवाईसी की अनिवार्यता से छूट दी है। इसके अलावा, अन्य सभी लाभार्थियों को यह प्रक्रिया पूरी करनी होगी, अन्यथा वे राशन से वंचित रह सकते हैं।
इन जिलों में सबसे ज्यादा राशन कार्ड हुए ब्लॉक
राजस्थान के विभिन्न जिलों में ई-केवाईसी नहीं कराने के चलते लाखों राशन कार्ड ब्लॉक किए गए हैं। सबसे अधिक प्रभावित जिले इस प्रकार हैं:
जिला | ब्लॉक किए गए राशन कार्ड |
---|---|
उदयपुर | 2,72,294 |
जयपुर | 1,81,190 |
जोधपुर | 1,95,051 |
अलवर | 2,05,662 |
सीकर | 1,65,360 |
जालौर | 1,36,536 |
नागौर | 1,36,424 |
बाड़मेर | 1,41,943 |
भीलवाड़ा | 1,07,571 |
भरतपुर | 1,07,103 |
ई-केवाईसी कराने की प्रक्रिया
राज्य सरकार ने उन उपभोक्ताओं को राहत देने के लिए दोबारा ई-केवाईसी प्रक्रिया शुरू की है जो अब भी अपना राशन कार्ड चालू रखना चाहते हैं। ई-केवाईसी कराने के लिए ये प्रक्रिया अपनाई जा सकती है:
- नजदीकी ई-मित्र या राशन दुकान पर जाएं।
- आधार कार्ड और राशन कार्ड साथ लेकर जाएं।
- फिंगरप्रिंट स्कैनिंग या ओटीपी वेरिफिकेशन द्वारा ई-केवाईसी पूरी करें।
- केवाईसी पूरी होते ही राशन कार्ड पुनः सक्रिय हो जाएगा।
सरकार का रुख और उपभोक्ताओं के रिएक्शन
सरकार का कहना है कि यह कदम पारदर्शिता और सही लाभार्थियों तक खाद्य सुरक्षा योजना का लाभ पहुंचाने के लिए उठाया गया है। हालांकि, इस फैसले से लाखों लोगों की चिंता बढ़ गई है, क्योंकि वे सरकारी राशन पर निर्भर हैं।