मिड डे मील में बड़े घोटाले की खुली पोल, 80 बच्चों का नाम दिखाकर बन रहा था पनीर चावल Mid Day Meal Fraud

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Mid Day Meal Fraud: हिमाचल प्रदेश के सोलन जिले में मिड डे मील (MDM) योजना के तहत एक बड़ा मामला सामने आया है। वीरवार को सीनियर सेकेंडरी स्कूल दिग्गल में औचक निरीक्षण के दौरान एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ। जब निरीक्षण टीम स्कूल पहुंची, तो वहां एक भी बच्चा मौजूद नहीं था। मगर हैरानी की बात यह रही कि स्कूल मैनेजमेंट ने एमडीएम के एएमएस पोर्टल पर 80 बच्चों के खाने की जानकारी अपलोड कर दी थी। यानी जहां स्कूल में कोई बच्चा ही नहीं था, वहां कागजों में 80 बच्चों को खाना खिला दिया गया।

किचन में पक रहा था पनीर-चावल, मगर बच्चे नहीं थे

निरीक्षण टीम ने जब एमडीएम किचन में जाकर देखा, तो वहां एक बाल्टी चावल तैयार थे और गैस चूल्हे पर पनीर पकाया जा रहा था। सवाल यह उठता है कि जब स्कूल में छठी से आठवीं कक्षा तक के बच्चे उस दिन स्कूल आए ही नहीं, तो फिर यह पनीर किसके लिए बनाया जा रहा था? यह बात न सिर्फ सवालों के घेरे में है, बल्कि यह एमडीएम योजना में हो रहे गड़बड़झाले की ओर भी इशारा कर रही है।

जिला नोडल अधिकारी ने लिया संज्ञान

स्कूल में इस गड़बड़ी की जानकारी मिलते ही जिला एमडीएम नोडल अधिकारी राजकुमार पराशर ने तुरंत एक्शन लिया। उन्होंने स्कूल मैनेजमेंट को कारण बताओ नोटिस जारी किया और कहा कि यह साफ किया जाए कि जब बच्चे स्कूल में उपस्थित नहीं थे, तो एमडीएम पोर्टल पर 80 बच्चों को खाना देने का फर्जी आंकड़ा क्यों डाला गया। साथ ही यह भी जांच होगी कि किचन में जो पनीर पक रहा था, वह आखिर किसके लिए था। नोडल अधिकारी ने साफ किया कि दोषी पाए जाने पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी और रिपोर्ट निदेशालय को भी सौंपी जाएगी।

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लंबे समय से मिल रही थीं स्कूल की शिकायतें

बताया जा रहा है कि जिला एमडीएम नोडल अधिकारी को काफी समय से दिग्गल स्कूल के खिलाफ शिकायतें मिल रही थीं। इसके चलते ही उन्होंने खंड शिक्षा अधिकारी से कहा कि स्कूल का औचक निरीक्षण किया जाए। निरीक्षण में जो स्थिति सामने आई, उसने स्कूल मैनेजमेंट की पोल खोल दी।

दरअसल, यह पहली बार नहीं है कि किसी स्कूल में एमडीएम में फर्जीवाड़ा पकड़ा गया हो। लेकिन इस मामले में सबसे बड़ी लापरवाही यह रही कि बिना बच्चों के मौजूदगी के भी किचन में भोजन तैयार किया जा रहा था।

स्कूल मैनेजमेंट से मांगा गया जवाब

शिक्षा विभाग ने इस मामले को बेहद गंभीर मानते हुए स्कूल मैनेजमेंट से लिखित जवाब मांगा है। विभाग का कहना है कि स्कूल मैनेजमेंट को यह बताना होगा कि आखिर किस आधार पर एएमएस पोर्टल पर 80 बच्चों के खाने की जानकारी डाली गई। इसके अलावा यह भी पूछा गया है कि जो खाना बन रहा था, वह किसे दिया जाना था।

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शिक्षा विभाग ने कहा कि मिड डे मील योजना बच्चों के पोषण और शिक्षा से जुड़ी है। ऐसे में इस तरह की लापरवाही और गड़बड़ी को किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

एमडीएम योजना में फर्जी आंकड़ों का खेल

यह मामला सिर्फ एक स्कूल तक सीमित नहीं है, बल्कि देशभर में एमडीएम योजना में इस तरह की शिकायतें समय-समय पर आती रही हैं। इसी वजह से सरकार ने एमडीएम योजना के लिए एएमएस (Automated Monitoring System) लागू किया है, ताकि हर स्कूल से वास्तविक आंकड़े समय पर मिल सकें।

स्कूल के एमडीएम प्रभारी को हर दिन टोल फ्री नंबर 15544 या एएमएस पोर्टल पर यह जानकारी साझा करनी होती है कि कितने बच्चों ने उस दिन मिड डे मील खाया। यह व्यवस्था इसलिए लागू की गई है ताकि कोई भी स्कूल फर्जी आंकड़ों के जरिए सरकारी योजना का गलत फायदा न उठा सके।

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प्रदेश में 55 हजार बच्चों को मिल रहा है मिड डे मील

सोलन जिले में इस समय कुल 1,097 स्कूलों में करीब 55,000 बच्चों को मिड डे मील योजना के तहत भोजन दिया जा रहा है। शिक्षा विभाग का कहना है कि यह योजना बच्चों के लिए बेहद जरूरी है, क्योंकि इससे न सिर्फ बच्चों को पोषण मिलता है, बल्कि स्कूल में उनकी उपस्थिति भी बढ़ती है।

ऐसे में अगर किसी स्कूल में इस योजना के तहत फर्जीवाड़ा होता है, तो इसका असर सीधे बच्चों और सरकारी बजट पर पड़ता है। यही वजह है कि विभाग इस मामले में किसी भी तरह की ढील देने के मूड में नहीं है।

फर्जी आंकड़ों से कैसे होता है नुकसान?

एमडीएम योजना में फर्जी आंकड़े अपलोड करने से न सिर्फ सरकारी पैसे का दुरुपयोग होता है, बल्कि इससे योजना की विश्वसनीयता पर भी सवाल खड़े हो जाते हैं। जब किसी स्कूल में बच्चों की वास्तविक उपस्थिति के बिना खाना बनाने और दिखाने का काम किया जाता है, तो इससे सरकार को सीधे नुकसान होता है।

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ऐसे मामलों में कई बार यह भी देखा गया है कि बन चुका खाना निजी इस्तेमाल में ले लिया जाता है या फिर कहीं और बेच दिया जाता है। इस तरह की गड़बड़ियों को रोकने के लिए ही सरकार ने एमडीएम योजना में पारदर्शिता लाने के लिए एएमएस पोर्टल जैसे सिस्टम लागू किए हैं।

शिक्षकों की भूमिका पर भी उठे सवाल

इस पूरे मामले में स्कूल मैनेजमेंट के साथ-साथ शिक्षकों की भूमिका भी सवालों के घेरे में है। शिक्षा विभाग का कहना है कि एमडीएम योजना में स्कूल मैनेजमेंट और एमडीएम प्रभारी की जिम्मेदारी होती है कि वे सही आंकड़े और सही स्थिति दर्ज करें। अगर इसमें गड़बड़ी होती है, तो इसकी सीधी जिम्मेदारी स्कूल स्टाफ पर भी आती है।

इस मामले में शिक्षा विभाग यह भी जांच कर रहा है कि एमडीएम प्रभारी ने आखिर बच्चों की गैरहाजिरी के बावजूद फर्जी रिपोर्ट क्यों भेजी। विभाग का कहना है कि जांच रिपोर्ट आने के बाद दोषियों पर नियमानुसार कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

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विभाग की सख्ती से बाकी स्कूलों में मचा हड़कंप

इस घटना के बाद सोलन जिले के अन्य स्कूलों में भी हड़कंप मच गया है। कई स्कूल अब सतर्क हो गए हैं और एमडीएम से जुड़े आंकड़ों को लेकर अतिरिक्त सावधानी बरत रहे हैं। शिक्षा विभाग का कहना है कि आने वाले समय में अन्य स्कूलों में भी औचक निरीक्षण किए जाएंगे।

कई बार देखा गया है कि स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति कम होने के बावजूद फर्जी आंकड़े पोर्टल पर अपलोड कर दिए जाते हैं। विभाग ने साफ कर दिया है कि अब हर स्कूल पर नजर रखी जाएगी और जहां भी गड़बड़ी मिलेगी, वहां कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

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