Delhi-Mumbai Expressway: राजस्थान की दिल्ली और मुंबई से कनेक्टिविटी को बेहतर बनाने के लिए केंद्र सरकार एक बड़ी परियोजना पर काम कर रही है। देश का सबसे लंबा बनने वाला यह एक्सप्रेसवे छह राज्यों से होकर गुजरेगा और इसे दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे नाम दिया गया है। इस परियोजना से राजस्थान के विकास को नई गति मिलने वाली है।
यह एक्सप्रेसवे न सिर्फ प्रदेश की राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से दूरी घटाएगा, बल्कि मुंबई जैसे व्यावसायिक केंद्र से भी कनेक्टिविटी मजबूत करेगा। आइए विस्तार से जानते हैं इस महत्वाकांक्षी योजना के बारे में।
6 राज्यों को जोड़ेगा दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे
दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे भारत के छह राज्यों से होकर गुजरेगा, जिनमें दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र शामिल हैं।
इस सुपरफास्ट कॉरिडोर के जरिए देश के दो सबसे बड़े शहर – दिल्ली और मुंबई – के बीच की दूरी और समय दोनों में भारी कमी आएगी। साथ ही राजस्थान सहित अन्य राज्यों में आर्थिक गतिविधियों और निवेश को भी मजबूती मिलेगी।
राजस्थान से गुजरेगा 373 किमी का हिस्सा
इस एक्सप्रेसवे का कुल 373 किलोमीटर का हिस्सा राजस्थान प्रदेश से होकर गुजरेगा। इस रूट में राजस्थान के कई प्रमुख जिले भी शामिल होंगे, जो अब तक दिल्ली और मुंबई से सीधी और तेज कनेक्टिविटी से वंचित थे।
एनएचएआई के अधिकारियों के मुताबिक राजस्थान में इस परियोजना का अधिकांश काम पूरा हो चुका है और शेष बचे हिस्से का निर्माण कार्य तेजी से जारी है।
सितंबर तक पूरा हो जाएगा काम
दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे का निर्माण कार्य लगभग अंतिम चरण में पहुंच चुका है। एनएचएआई के अधिकारियों ने बताया है कि सितंबर 2025 तक इस एक्सप्रेसवे का शेष काम पूरा कर लिया जाएगा।
सरकार का लक्ष्य है कि इस साल के अंत तक आमजन के लिए इस एक्सप्रेसवे को खोल दिया जाए। इसका अर्थ यह है कि जल्द ही राजस्थान के लोग दिल्ली और मुंबई जैसे महानगरों तक तेज और आसान सफर कर सकेंगे।
दिल्ली जाना होगा सिर्फ 4 घंटे में
राजस्थान के लोगों को इस परियोजना से सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि दिल्ली तक का सफर बेहद कम समय में तय हो सकेगा।
फिलहाल राजस्थान से दिल्ली पहुंचने में 6 से 7 घंटे का समय लग जाता है, लेकिन एक्सप्रेसवे बनने के बाद यह सफर मात्र 4 घंटे में पूरा किया जा सकेगा।
इसके अलावा सफर में लगने वाले ईंधन और समय की भी बचत होगी, जिससे यात्रियों का खर्च कम होगा और सड़क सुरक्षा भी बेहतर होगी।
व्यापार और निवेश को मिलेगा बढ़ावा
दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे बनने के बाद राजस्थान के औद्योगिक और कृषि उत्पादों को देश के प्रमुख बाजारों तक पहुंचाना आसान हो जाएगा।
यह एक्सप्रेसवे औद्योगिक इकाइयों, लॉजिस्टिक्स हब, वेयरहाउस और नए बिजनेस सेंटर के विकास में भी मदद करेगा। इससे राजस्थान में निवेश बढ़ेगा और रोजगार के नए अवसर भी खुलेंगे।
कनेक्टिविटी से बदलेगी कई जिलों की सूरत
इस परियोजना के तहत राजस्थान के जिन जिलों से यह एक्सप्रेसवे गुजरेगा, वहां के स्थानीय निवासियों और व्यापारियों को सबसे ज्यादा फायदा होगा।
अलवर, भरतपुर, कोटा और धौलपुर जैसे जिले अब सीधे इस एक्सप्रेसवे से जुड़ जाएंगे। इसका असर न केवल व्यापार पर पड़ेगा, बल्कि इन इलाकों में पर्यटन और उद्योगों को भी बढ़ावा मिलेगा।
पर्यावरण के अनुकूल है यह एक्सप्रेसवे
दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे को ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे के रूप में विकसित किया जा रहा है। इसमें सौर ऊर्जा आधारित स्ट्रीट लाइट्स, वर्षा जल संचयन और अन्य पर्यावरणीय उपायों का भी खास ध्यान रखा गया है।
इसके अलावा यह एक्सप्रेसवे इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर से भी लैस होगा ताकि भविष्य में ई-वाहनों के उपयोग को बढ़ावा दिया जा सके।
यात्रियों के लिए होंगे आधुनिक सुविधाएं
इस एक्सप्रेसवे पर यात्रियों की सहूलियत को ध्यान में रखते हुए आधुनिक सुविधाएं भी विकसित की जाएंगी। इसमें फूड प्लाजा, टॉयलेट्स, पेट्रोल पंप, रेस्ट एरिया और मेडिकल सहायता केंद्र जैसी सुविधाएं शामिल हैं।
साथ ही, सड़क सुरक्षा के लिए अत्याधुनिक ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम और सीसीटीवी सर्विलांस भी लगाया जाएगा।
राजस्थान के लिए बड़ा बदलाव साबित होगा प्रोजेक्ट
सरकार का कहना है कि यह एक्सप्रेसवे राजस्थान में लॉजिस्टिक्स और परिवहन को नई दिशा देगा। साथ ही, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) से सीधी और तेज कनेक्टिविटी मिलने से राजस्थान को देश के अन्य हिस्सों से जोड़ने में आसानी होगी।
खासतौर से छोटे व्यापारियों और किसानों के लिए यह प्रोजेक्ट फायदेमंद साबित होगा क्योंकि वे अपने उत्पाद दिल्ली और मुंबई जैसे बड़े बाजारों तक तेजी से पहुंचा पाएंगे।