Haryana’s Cow: हरियाणा देश में हमेशा से ही पशुपालन और डेयरी उत्पादों के मामले में अग्रणी राज्य रहा है। यहां की पहचान ही दूध और दही से जुड़ी रही है, और इसी वजह से कहा जाता है – “जहां दूध-दही का खाना, ऐसा है हमारा हरियाणा।” इस कहावत को सच साबित किया है करनाल जिले के गांव झिंझाड़ी के पशुपालक सुनील और शैंकी ने, जिनकी गाय ने एशिया का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। यह खबर हरियाणा ही नहीं, बल्कि पूरे देश में चर्चा का विषय बनी हुई है।
24 घंटे में दिया रिकॉर्ड 87.740 लीटर दूध
करनाल जिले के झिंझाड़ी गांव के सुनील और शैंकी की गाय ने राष्ट्रीय डेरी अनुसंधान संस्थान (NDRI) द्वारा आयोजित तीन दिवसीय किसान मेले में 24 घंटे में 87 लीटर 740 ग्राम दूध देकर नया इतिहास रच दिया है। यह मात्रा अब तक एशिया में किसी भी गाय द्वारा एक दिन में दिए गए दूध में सबसे अधिक है। इस उपलब्धि के बाद यह गाय एशिया की सबसे ज्यादा दूध देने वाली गाय बन गई है। मेले में देश भर से कई किसान और पशुपालक अपने-अपने मवेशियों को लेकर पहुंचे थे, लेकिन सुनील और शैंकी की गाय ने सभी को पीछे छोड़ दिया।
होल्सटीन फ्रीजियन नस्ल की है रिकॉर्डधारी गाय
पशुपालक सुनील ने बताया कि यह गाय होल्सटीन फ्रीजियन (Holstein Friesian) नस्ल की है, जो विश्व स्तर पर अपनी ज्यादा दूध उत्पादन क्षमता के लिए जानी जाती है। उन्होंने अपनी गाय का नाम ‘सोनी’ रखा है। सुनील ने कहा कि सोनी की देखभाल वे बहुत अच्छे से करते हैं और यही वजह है कि उनकी गाय ने यह रिकॉर्ड कायम किया है। उन्होंने बताया कि इस नस्ल की गायों को सही देखभाल और पोषण दिया जाए तो वे औसतन अन्य नस्लों की तुलना में कहीं ज्यादा दूध देती हैं।
चार पीढ़ियों से चला आ रहा है पशुपालन का काम
सुनील और शैंकी का परिवार चार पीढ़ियों से गाय और अन्य पशुओं का पालन कर रहा है। सुनील बताते हैं कि पहले उनके दादा और परदादा भी घर में ही पशुपालन करते थे। लेकिन साल 2014 में उन्होंने इस काम को बड़े स्तर पर करने का फैसला लिया और दो डेरी फार्म बनाए। आज उनके फार्म में करीब 195 छोटे-बड़े पशु हैं जिनमें ज्यादातर गायें हैं। सुनील का कहना है कि यह सफलता केवल मेहनत और सही योजना की वजह से ही पॉसिबल हो पाई है।
खास डाइट से तैयार होती हैं रिकॉर्डधारी गायें
पशुपालक सुनील ने बताया कि उनके फार्म में सभी पशुओं को उनके दूध उत्पादन के हिसाब से अलग-अलग डाइट दी जाती है। सोनी को भी खासतौर पर विशेष डाइट दी जाती है। उन्होंने बताया कि यह गाय प्रतिदिन 24 किलो साइलेज, डेढ़ किलो तूड़ी, 10 किलो हरा चारा और 20 किलो स्पेशल फीड खाती है। इसके अलावा पशुओं को मिनरल मिक्स और साफ पानी भी भरपूर दिया जाता है। सुनील का कहना है कि अच्छी डाइट और सही समय पर देखभाल से ही इस तरह के परिणाम संभव हो पाते हैं।
डेरी फार्म पर खुले माहौल में रखे जाते हैं पशु
सुनील और शैंकी बताते हैं कि उनके दोनों डेरी फार्म में पशुओं को खुला माहौल दिया जाता है ताकि वे ज्यादा तनाव में न रहें और स्वस्थ रहें। गर्मियों में उनके लिए पंखों और वॉटर स्प्रे सिस्टम जैसी सुविधाएं भी उपलब्ध कराई जाती हैं ताकि गर्मी में भी पशु आरामदायक महसूस करें। सुनील का मानना है कि अगर पशु तनाव मुक्त रहते हैं तो उनका दूध उत्पादन भी बेहतर होता है।
नेस्ले कंपनी को होती है दूध की सप्लाई
शैंकी ने बताया कि उनके डेरी फार्म से रोजाना करीब 30 क्विंटल दूध का उत्पादन होता है। इस दूध का एक बड़ा हिस्सा नेस्ले कंपनी को सप्लाई किया जाता है। वहीं बाकी दूध करनाल और आस-पास के शहरों में ग्राहकों को सीधे बेचा जाता है। शैंकी कहते हैं कि दूध की गुणवत्ता अच्छी होने की वजह से ग्राहक भी उनके डेरी फार्म का दूध पसंद करते हैं और मांग लगातार बढ़ रही है।
देश भर के किसानों के लिए प्रेरणा बनी सोनी
राष्ट्रीय डेरी अनुसंधान संस्थान (NDRI) करनाल के निदेशक धीर सिंह ने कहा कि सुनील और शैंकी की गाय ‘सोनी’ का यह रिकॉर्ड देश के अन्य पशुपालकों के लिए भी प्रेरणा है। उन्होंने बताया कि इस तीन दिवसीय मेले में देश भर से सैकड़ों किसान आए थे और सभी ने इस गाय के प्रदर्शन को सराहा। उन्होंने यह भी बताया कि इस प्रतियोगिता में दूसरा स्थान भी इन्हीं की दूसरी गाय ने हासिल किया, जो कि अपने आप में एक बड़ी उपलब्धि है।
भारत में डेयरी फार्मिंग का भविष्य उज्ज्वल
एनडीआरआई के निदेशक ने कहा कि भारत में डेयरी फार्मिंग (Dairy Farming) का भविष्य बहुत उज्ज्वल है। उन्होंने किसानों से अपील की कि वे गांवों में रहकर समूह बनाकर डेयरी फार्मिंग करें। इससे न केवल ग्रामीण क्षेत्र में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे, बल्कि किसानों की आमदनी भी दोगुनी हो सकती है। उन्होंने बताया कि यदि किसान आधुनिक तकनीकों और वैज्ञानिक पद्धतियों के साथ पशुपालन करें तो वे डेयरी सेक्टर में बड़ा मुनाफा कमा सकते हैं।
बदलेगी किसानों की किस्मत
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर किसान अपने पशुओं की बेहतर देखभाल करें और आधुनिक तकनीकों जैसे कि समय पर टीकाकरण, संतुलित आहार और साफ-सफाई का ध्यान रखें तो पशुपालन क्षेत्र में जबरदस्त सुधार पॉसिबल है। सुनील और शैंकी की सफलता इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। उनके फार्म पर हर प्रक्रिया वैज्ञानिक पद्धति से होती है और इसका सीधा असर दूध की कवालिटी और मात्रा पर पड़ा है।
हरियाणा में डेयरी सेक्टर से जुड़ी नई संभावनाएं
हरियाणा सरकार भी डेयरी सेक्टर को बढ़ावा देने के लिए समय-समय पर योजनाएं चला रही है। किसानों को डेयरी फार्मिंग के लिए लोन, सब्सिडी और ट्रेनिंग भी दी जा रही है। इससे छोटे किसान भी डेयरी उद्योग में कदम रखकर अपनी आमदनी बढ़ा रहे हैं। करनाल की इस घटना के बाद राज्य में डेयरी फार्मिंग को और बल मिलेगा और अन्य किसान भी इस दिशा में प्रेरित होंगे।