एक साल में मकान मालिक कितना किराया बढ़ा सकता है? किराए पर मकान लेने से पहले जान लेना ये बात Landlord Rent Rule

WhatsApp ग्रुप ज्वाइन करे Join Now

Landlord Rent Rule: आजकल बहुत से लोग अपने करियर, पढ़ाई, या बिजनेस के लिए अपने घर से दूर दूसरे शहरों में रहते हैं। ऐसे में वे किराए पर मकान लेकर रहते हैं। वहीं दूसरी ओर, कई लोग अपनी एक्स्ट्रा प्रॉपर्टी को किराए पर देकर कमाई करते हैं। हालांकि, अक्सर देखा जाता है कि न तो मकान मालिक और न ही किरायेदार इस पूरी प्रक्रिया में कानूनी नियमों का सही तरीके से पालन करते हैं।

अधिकतर मामलों में सबकुछ आपसी समझ और बातचीत पर ही आधारित रहता है। लेकिन ऐसा करना भविष्य में विवादों को जन्म दे सकता है। इसलिए यह जानना जरूरी है कि किराए पर रहने और देने दोनों के लिए कानून में कई प्रावधान हैं, जो मकान मालिक और किरायेदार दोनों के हितों की सुरक्षा करते हैं।

रेंट एग्रीमेंट क्या होता है और क्यों है जरूरी?

कई बार किराएदार और मकान मालिक बिना किसी लिखित दस्तावेज के ही मौखिक सहमति पर काम चला लेते हैं। बस आधार कार्ड या अन्य पहचान पत्र देकर लोग मकान में रहने लगते हैं। लेकिन असल में यह केवल एक फॉर्मैलटीज़ है। असली सुरक्षा तब मिलती है जब दोनों पक्षों के बीच एक कानूनी रेंट एग्रीमेंट होता है।

यह भी पढ़े:
10 Incredibly Valuable Coins The Top 10 Rarest and Most Valuable Coins in the World, Hidden Gems of Numismatic History

रेंट एग्रीमेंट एक लिखित समझौता होता है, जिसमें मकान मालिक और किरायेदार के बीच किराए पर मकान देने और रहने से जुड़ी सभी शर्तें तय होती हैं। इसे ‘रजिस्ट्रेशन एक्ट 1908’ के सेक्शन 17 के तहत जरूरी माना गया है। रेंट एग्रीमेंट में किराए की रकम, मकान में रहने की अवधि, किराया बढ़ाने के नियम और दोनों पक्षों की जिम्मेदारियों का स्पष्ट उल्लेख किया जाता है।

रेंट एग्रीमेंट की तय टाइम लिमिट

आमतौर पर रेंट एग्रीमेंट 11 महीने के लिए बनाया जाता है। यह सबसे ज्यादा प्रचलित और सुरक्षित ऑप्शन माना जाता है। हालांकि, चाहें तो इसे 12 महीने या इससे ज्यादा समय के लिए भी बनाया जा सकता है। लेकिन 11 महीने का एग्रीमेंट ज्यादा सुविधाजनक होता है क्योंकि:

  • इसे रजिस्ट्रेशन कराने की जरूरत नहीं होती।
  • स्टांप ड्यूटी कम लगती है।
  • एग्रीमेंट खत्म होने पर दोनों पक्ष आसानी से उसे खत्म कर सकते हैं।

अगर कोई एग्रीमेंट 12 महीने या उससे ज्यादा का बनता है तो उसे सब रजिस्ट्रार ऑफिस में जाकर रजिस्टर कराना जरूरी होता है। इसमें समय और अतिरिक्त खर्च दोनों ही ज्यादा लगते हैं। इसलिए ज्यादातर मकान मालिक और किरायेदार 11 महीने का रेंट एग्रीमेंट ही बनवाते हैं।

यह भी पढ़े:
aaj 22 march 2025 ko sona chandi ka taja bhav ईद से पहले सोने की कीमतों में गिरावट, जाने 24 कैरेट सोने का ताजा भाव Gold Silver Price Today

मकान मालिक की जिम्मेदारियां और अधिकार

रेंट एग्रीमेंट में मकान मालिक की कुछ प्रमुख जिम्मेदारियां तय होती हैं। मकान मालिक की जिम्मेदारी है कि वह किराएदार को मूलभूत सुविधाएं जैसे बिजली, पानी और साफ-सफाई मुहैया कराए। अगर रेंट एग्रीमेंट में इन सुविधाओं का जिक्र किया गया है, तो मकान मालिक को इन सेवाओं के लिए किराएदार से चार्ज लेने का अधिकार है।

लेकिन मकान मालिक बिना किसी पूर्व जानकारी या सहमति के इन सुविधाओं में कटौती नहीं कर सकता। मकान मालिक और किराएदार को मकान किराए पर देने से पहले सभी शर्तों पर आपस में साफ-साफ बात कर लेनी चाहिए।

किरायेदार के अधिकार और जिम्मेदारियां

किराएदार की भी यह जिम्मेदारी बनती है कि वह मकान को नुकसान न पहुंचाए और रेंट एग्रीमेंट में तय शर्तों का पालन करे। किराएदार को समय पर किराया देना चाहिए और मकान मालिक की अनुमति के बिना कोई बड़ा बदलाव या तोड़फोड़ नहीं करनी चाहिए।

यह भी पढ़े:
अप्रैल महीने में रहेगी छुट्टियों की भरमार, इतने दिन स्कूल,कॉलेज और दफ्तर रहेंगे बदन Public Holiday

इसके अलावा, अगर मकान मालिक किराया बढ़ाता है तो किराएदार को यह देखना जरूरी है कि यह बढ़ोतरी रेंट एग्रीमेंट में तय शर्तों के अनुसार हो रही है या नहीं। यदि किराया मनमानी तरीके से बढ़ाया गया है तो किराएदार इसे चुनौती भी दे सकता है।

किराया बढ़ाने के नियम

अक्सर यह देखा जाता है कि मकान मालिक मनमाने ढंग से किराया बढ़ा देते हैं। लेकिन कानून ऐसा करने की इजाजत नहीं देता। रेंट एग्रीमेंट में पहले से ही यह स्पष्ट किया जाता है कि कितने प्रतिशत तक किराया हर साल बढ़ाया जा सकता है।

उदाहरण के लिए, महाराष्ट्र में लागू ‘रेंट कंट्रोल एक्ट 1999’ के तहत मकान मालिक हर साल अधिकतम 4 प्रतिशत तक किराया बढ़ा सकता है। अगर मकान मालिक मकान में कोई नई सुविधा जैसे पार्किंग, सिक्योरिटी या कोई अन्य बड़ा सुधार करता है तो वह एक्स्ट्रा किराया भी बढ़ा सकता है। लेकिन इसके लिए किरायेदार की सहमति जरूरी होती है।

यह भी पढ़े:
Dearness Allowance सरकारी कर्मचारियों को मिला बड़ा तोहफा, बैंक खाते में आएगा 6800 का बोनस Dearness Allowance

कुछ राज्यों में यह नियम अलग-अलग हो सकते हैं। इसलिए मकान किराए पर लेने से पहले किरायेदार को उस राज्य के रेंट कानून की जानकारी जरूर लेनी चाहिए।

11 महीने का रेंट एग्रीमेंट क्यों होता है फायदेमंद

11 महीने का रेंट एग्रीमेंट बनवाने से दोनों पक्षों को कई फायदे होते हैं। सबसे बड़ा फायदा यह है कि यह बिना रजिस्ट्रेशन के भी वैध माना जाता है। इसके अलावा:

  • यह जल्दी और कम खर्च में बन जाता है।
  • एग्रीमेंट खत्म होने पर मकान मालिक किराया बढ़ा सकता है।
  • किराएदार लंबे समय तक मकान पर अधिकार नहीं जमा सकता।
  • विवाद होने पर आसानी से इसे खत्म किया जा सकता है।

11 महीने का एग्रीमेंट खत्म होने पर मकान मालिक चाहें तो नया एग्रीमेंट बना सकता है या किराएदार को मकान खाली करने के लिए कह सकता है। इससे मकान मालिक को अपनी प्रॉपर्टी पर पूरी तरह से नियंत्रण बना रहता है।

यह भी पढ़े:
aaj 21 march 2025 ko sona chandi ka taja bhav 21 मार्च को सोने की कीमतो में गिरावट, जाने आज का ताजा भाव Gold-Silver Price Today

लंबे समय का एग्रीमेंट कब और क्यों बनवाएं?

अगर कोई व्यक्ति लंबे समय तक एक ही जगह पर रहना चाहता है तो वह 5 साल या उससे ज्यादा का रेंट एग्रीमेंट भी कर सकता है। हालांकि, इसके लिए रेंट एग्रीमेंट को रजिस्टर कराना जरूरी होता है। लंबे समय के एग्रीमेंट में मकान मालिक और किराएदार के बीच ज्यादा स्पष्टता होती है और किराया बढ़ाने समेत अन्य शर्तें भी अच्छे से तय कर ली जाती हैं।

लंबे समय का एग्रीमेंट स्पेसली उन लोगों के लिए फायदेमंद है जो किसी शहर में स्थायी रूप से काम या बिजनेस करने आए हैं। हालांकि, ध्यान देने वाली बात यह है कि इस तरह के एग्रीमेंट में कानूनी प्रक्रियाएं ज्यादा होती हैं और खर्च भी ज्यादा आता है।

नोटरी और रजिस्टर्ड एग्रीमेंट में अंतर

11 महीने तक का रेंट एग्रीमेंट आमतौर पर नोटरी से ही करवा लिया जाता है। यह भी मान्य होता है लेकिन कानूनी रूप से सीमित दायरे में। जबकि 12 महीने या उससे ज्यादा समय के रेंट एग्रीमेंट को रजिस्टर कराना अनिवार्य होता है।

यह भी पढ़े:
जल्द ही UPI से लेनदेन पर मिलेगा इनाम, सरकार की तरफ़ से मिली मंजूरी UPI Transaction Reward

रजिस्टर्ड एग्रीमेंट अदालत में अधिक मजबूत सबूत के रूप में काम करता है। अगर भविष्य में कोई विवाद होता है तो रजिस्टर्ड रेंट एग्रीमेंट को अदालत में पेश किया जा सकता है, जिससे आपके पक्ष को मजबूती मिलती है।

बिना कारण किरायेदार को नहीं निकाला जा सकता

अगर मकान मालिक किसी किरायेदार को प्रॉपर्टी से बाहर करना चाहता है तो उसे कम से कम एक महीने का नोटिस देना जरूरी होता है। बिना नोटिस दिए मकान मालिक किरायेदार को मकान खाली करने के लिए नहीं कह सकता। यहां तक कि अगर रेंट एग्रीमेंट 5 साल का हो और नोटरी से बना हो, तब भी मकान मालिक को नियमों का पालन करना होता है।

यह भी पढ़े:
गर्मियों में जमकर चलाए AC तो भी कम आएगा बिल, इस ट्रिक से बिजली बिल में होगी 30 प्रतिशत तक बचत Save Electricity Bill