एक सिक्का बनाने में RBI को कितना आता है खर्चा, जाने किस नोट को बनाने पर आता है ज्यादा खर्चा RBI Coin Cost

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RBI Coin Cost: भारत सरकार द्वारा विभिन्न मूल्य के नोट और सिक्के मैन्युफैक्चर किए जाते हैं। इसमें 1 रुपये के नोट से लेकर 1, 2, 5, 10, 20 रुपये के सिक्के शामिल होते हैं। इन नोटों और सिक्कों की छपाई और मैन्युफैक्चरिंग में सरकार करोड़ों रुपये खर्च करती है।

कौन छापता है करेंसी के नोट और सिक्के?

भारतीय करेंसी के निर्माण में दो प्रमुख संस्थाएं शामिल हैं:

  1. भारत सरकार: 1 रुपये का नोट और सभी सिक्कों की मैन्युफैक्चरिंग भारत सरकार द्वारा की जाती है।
  2. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI): 2 रुपये से लेकर 500 रुपये तक के नोटों की छपाई का जिम्मा आरबीआई के पास होता है।

एक रुपये का सिक्का छापने में लागत

सरकार को एक रुपये के सिक्के को मैन्युफैक्चर करने में रियल मूल्य से अधिक खर्च करना पड़ता है। एक रुपये के सिक्के की लागत 1.11 रुपये आती है। यानी सरकार को इस सिक्के को छापने में 11 पैसे का एक्स्ट्रा खर्च उठाना पड़ता है।

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अन्य सिक्कों की निर्माण लागत

सरकार को अलग-अलग सिक्कों की मैन्युफैक्चरिंग में विभिन्न खर्च उठाने पड़ते हैं। आरबीआई की 2018 की रिपोर्ट के अनुसार, सिक्कों की लागत इस प्रकार है:

  • 1 रुपये का सिक्का: 1.11 रुपये
  • 2 रुपये का सिक्का: 1.28 रुपये
  • 5 रुपये का सिक्का: 3.69 रुपये
  • 10 रुपये का सिक्का: 5.54 रुपये

इससे साफ है कि सरकार को बड़े मूल्य वाले सिक्कों की मैन्युफैक्चरिंग में ज्यादा लागत उठानी पड़ती है।

नोट छापने में कितना खर्च आता है?

नोटों की छपाई में भी सरकार को भारी खर्च उठाना पड़ता है। नोट छापने की लागत का निर्धारण कई कारकों पर निर्भर करता है, जिसमें कागज, स्याही, सुरक्षा फीचर्स, और प्रिंटिंग प्रोसेस शामिल हैं।

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आरबीआई की रिपोर्ट के अनुसार, 1000 नोटों की छपाई लागत इस प्रकार है:

  • 10 रुपये के 1000 नोट: 960 रुपये
  • 100 रुपये के 1000 नोट: 1770 रुपये
  • 200 रुपये के 1000 नोट: 2370 रुपये
  • 500 रुपये के 1000 नोट: 2290 रुपये

करेंसी निर्माण पर खर्च क्यों होता है ज्यादा?

सरकार को करेंसी निर्माण पर अधिक खर्च इसलिए करना पड़ता है क्योंकि:

  1. सुरक्षा उपाय: नोटों में सुरक्षा फीचर्स (हिडन मार्क, वाटरमार्क, होलोग्राम आदि) जोड़े जाते हैं।
  2. मटेरियल की लागत: नोट छापने में उच्च गुणवत्ता वाले कागज और स्याही का उपयोग किया जाता है।
  3. टिकाऊपन: सिक्कों को ज्यादा टिकाऊ बनाने के लिए मजबूत धातुओं का प्रयोग किया जाता है।
  4. इन्फ्लेशन: समय के साथ उत्पादन लागत में बढ़ोतरी होती है।

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