पत्नी के नाम पर सरपंच पद नहीं संभालेंगे पति, सरकार ने किया ये खास काम SASHAKT PANCHAYAT NETRI

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SASHAKT PANCHAYAT NETRI: अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस (8 मार्च) से पहले केंद्र सरकार ने पंचायती राज संस्थानों में निर्वाचित महिला प्रतिनिधियों की नेतृत्व क्षमता को मजबूत करने और उनके निर्णय लेने के कौशल को बढ़ाने के लिए एक विशेष अभियान शुरू किया है. इस अभियान का उद्देश्य महिला सरपंचों और पंचायत सदस्यों को सशक्त बनाना है. ताकि वे अपने अधिकारों को भली-भांति समझकर स्वतंत्र रूप से कार्य कर सकें.

‘सशक्त पंचायत-नेत्री अभियान’ की जोरदार शुरुआत

मंगलवार को आयोजित एक कार्यक्रम में ‘सशक्त पंचायत-नेत्री अभियान’ की शुरुआत की गई, जिसमें 1,200 से अधिक महिला पंचायत नेताओं ने भाग लिया. यह अभियान महिला नेतृत्व को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है. कार्यक्रम के दौरान पंचायती राज मंत्रालय ने एक विशेष प्राइमर भी जारी किया. जिसमें महिलाओं और लड़कियों की सुरक्षा व सशक्तिकरण के लिए विभिन्न कानूनों की जानकारी दी गई.

‘सरपंच पति’ प्रथा पर लगेगा अंकुश

इस अभियान का एक प्रमुख उद्देश्य ‘सरपंच पति’ जैसी सामाजिक कुरीति पर रोक लगाना है. अक्सर देखा जाता है कि पंचायत चुनाव में महिलाएं निर्वाचित तो होती हैं. लेकिन वास्तविक रूप से उनके पति या परिवार के अन्य पुरुष सदस्य सभी फैसले लेते हैं. इसे ‘प्रॉक्सी नेतृत्व’ कहा जाता है. जो महिलाओं के सशक्तिकरण में एक बड़ी बाधा है. पंचायती राज मंत्रालय की एक सलाहकार समिति ने हाल ही में अपनी रिपोर्ट में इस प्रथा पर कठोर दंड लगाने की सिफारिश की थी. साथ ही समिति ने महिलाओं के नेतृत्व को मजबूत करने के लिए क्षमता निर्माण, परामर्श और जमीनी स्तर से उच्च स्तर तक निगरानी की ठोस रूपरेखा तैयार करने का सुझाव भी दिया.

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नेताओं का प्रॉक्सी नेतृत्व पर कड़ा रुख

विज्ञान भवन में आयोजित इस कार्यक्रम में केंद्रीय पंचायती राज मंत्री राजीव रंजन सिंह, महिला एवं बाल विकास मंत्री अन्नपूर्णा देवी और पंचायती राज राज्य मंत्री एस.पी. सिंह बघेल ने ‘सरपंच पति’, ‘मुखिया पति’ और ‘प्रधान पति’ के नाम पर महिलाओं की भूमिका को छीनने की कड़ी आलोचना की. उन्होंने स्पष्ट किया कि यह प्रथा न केवल लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ है. बल्कि महिलाओं के विकास में भी बाधा डालती है. इस अवसर पर युवा मामले और खेल राज्य मंत्री रक्षा निखिल खडसे ने भी महिलाओं से आत्मविश्वास के साथ नेतृत्व करने का आह्वान किया. उन्होंने बताया कि उन्होंने खुद महाराष्ट्र में ग्राम पंचायत की सरपंच के रूप में अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की थी और यह अनुभव महिलाओं के लिए प्रेरणादायक हो सकता है.

कानूनी जानकारी से महिला प्रतिनिधियों को सशक्त करने की योजना

‘सशक्त पंचायत-नेत्री अभियान’ के तहत जारी किए गए प्राइमर का उद्देश्य महिला पंचायत प्रतिनिधियों को कानूनी रूप से जागरूक बनाना है. इसमें महिलाओं की सुरक्षा और उनके अधिकारों से जुड़े महत्वपूर्ण कानूनों की जानकारी दी गई है. इस प्राइमर में घरेलू हिंसा, कार्यस्थल पर उत्पीड़न, बाल शोषण, बाल विवाह, लिंग आधारित भ्रूण हत्या, मानव तस्करी और साइबर अपराध जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों को शामिल किया गया है. इसके अलावा ऑनलाइन उत्पीड़न, साइबर स्टॉकिंग, छवि आधारित दुर्व्यवहार, पहचान की चोरी और हैकिंग जैसे डिजिटल अपराधों पर भी जानकारी दी गई है.

डिजिटल साक्षरता से महिला नेताओं की भागीदारी बढ़ेगी

इस अभियान के तहत डिजिटल साक्षरता पर भी विशेष ध्यान दिया जाएगा, ताकि महिलाएं पंचायत स्तर पर तकनीक का सही इस्तेमाल कर सकें. डिजिटल तकनीक का ज्ञान होने से महिला पंचायत प्रतिनिधि सरकारी योजनाओं की निगरानी बेहतर तरीके से कर सकेंगी और अपने क्षेत्रों में पारदर्शिता सुनिश्चित कर सकेंगी.

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पंचायत स्तर पर लैंगिक समानता की दिशा में बढ़ता कदम

यह अभियान पंचायत स्तर पर महिलाओं की प्रभावी भागीदारी सुनिश्चित करने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है. इस पहल से महिलाओं को न केवल कानूनी सशक्तिकरण मिलेगा, बल्कि वे अपने गांवों में लैंगिक समानता और महिला अधिकारों की रक्षा में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकेंगी. सरकार का यह प्रयास महिलाओं को सिर्फ प्रतीकात्मक नेतृत्व से निकालकर एक वास्तविक नेतृत्व की ओर ले जाने का है.