Indian Banks: भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank Of India) ने न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक पर छह महीने के लिए प्रतिबंध लगा दिया है। इस फैसले के तहत बैंक अब कोई नया लेन-देन नहीं कर सकता है, साथ ही ग्राहकों को अपने खातों से पैसे निकालने की पर्मिशन भी नहीं दी गई है। यह प्रतिबंध ग्राहकों के लिए एक बड़ी समस्या बन चुका है क्योंकि वे अपने ही जमा किए हुए पैसे नहीं निकाल पा रहे हैं।
बैंक पर प्रतिबंध क्यों लगाया गया?
आरबीआई समय-समय पर बैंकों की वित्तीय स्थिति की जांच करता है। अगर किसी बैंक की हालत खराब होती है या उसे चलाना मुश्किल हो जाता है, तो केंद्रीय बैंक (RBI) उसकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कुछ कड़े कदम उठाता है। न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक के मामले में भी आरबीआई ने यही किया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, बैंक की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी और इसे चालू रखना मुश्किल हो रहा था।
ग्राहकों की चिंता
जब भी किसी बैंक पर प्रतिबंध लगता है या वह बंद होने की कगार पर पहुंच जाता है, तो सबसे ज्यादा चिंता ग्राहकों को होती है। ग्राहक यह जानना चाहते हैं कि उनका पैसा कितना सुरक्षित है और अगर बैंक डूब जाता है, तो उन्हें कितना पैसा वापस मिलेगा। इस सवाल का जवाब आरबीआई के नियमों में छिपा है।
बैंक में जमा राशि की सुरक्षा की स्थिति क्या है?
आरबीआई के अनुसार, ग्राहकों को अपने बैंक खातों में जमा राशि के बारे में सतर्क रहना चाहिए। अगर किसी बैंक पर प्रतिबंध लगता है या वह दिवालिया हो जाता है, तो जमा किए गए पूरे पैसे की गारंटी नहीं होती है। हालांकि, सरकार और आरबीआई ने ग्राहकों की सुरक्षा के लिए कुछ नियम बनाए हैं, जो उनके पैसे को सुरक्षित रखने में मदद करते हैं।
डिपॉजिट इंश्योरेंस
डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन (DICGC) के तहत, बैंक में जमा राशि पर अधिकतम ₹5 लाख तक की गारंटी होती है। इसका अर्थ है कि अगर कोई बैंक दिवालिया हो जाता है, तो खाताधारकों को ₹5 लाख तक की राशि वापस मिल सकती है। यह नियम बचत खाते (Saving Account), चालू खाते (Current Account) और सावधि जमा (Fixed Deposit) जैसे सभी जमाओं पर लागू होता है।
अगर खाते में ₹5 लाख से ज्यादा हैं तो क्या होगा?
अगर किसी ग्राहक के खाते में ₹5 लाख से अधिक जमा हैं, तो बैंक के डूबने की स्थिति में वह एक्स्ट्रा राशि पूरी तरह से असुरक्षित हो सकती है। उदाहरण के लिए, यदि किसी व्यक्ति ने ₹10 लाख जमा किए हैं और बैंक दिवालिया हो जाता है, तो उसे केवल ₹5 लाख ही वापस मिलेंगे। शेष राशि पर कोई गारंटी नहीं होती है।
क्या सभी खातों के लिए यह नियम समान है?
हाँ, यह नियम सभी प्रकार के खातों के लिए समान रूप से लागू होता है। भले ही किसी ग्राहक के एक ही बैंक में कई खाते हों, लेकिन कुल मिलाकर ₹5 लाख तक की ही गारंटी मिलेगी। इसका मतलब यह हुआ कि यदि आपने बचत खाते और एफडी दोनों में पैसे जमा कर रखे हैं, तो भी आपको अधिकतम ₹5 लाख की ही सुरक्षा मिलेगी।
बैंकों में पैसा जमा करने से पहले क्या सावधानी बरतें?
- बैंक की वित्तीय स्थिति की जांच करें – किसी भी बैंक में पैसा जमा करने से पहले उसकी वित्तीय स्थिति के बारे में जानकारी हासिल करें।
- सरकारी या बड़े बैंकों में निवेश करें – छोटे या कम फेमस बैंकों में पैसा जमा करने से पहले दो बार सोचें। बड़े और सरकारी बैंक आमतौर पर सुरक्षित होते हैं।
- डीआईसीजीसी कवरेज की जानकारी रखें – किसी भी बैंक में जमा करने से पहले जान लें कि उस बैंक में आपकी जमा राशि डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन (DICGC) के तहत कवर होती है या नहीं।
- अलग-अलग बैंकों में पैसा बांटें – अगर आपके पास बड़ी राशि है, तो उसे एक ही बैंक में रखने की बजाय अलग-अलग बैंकों में वितरित करें। इससे जोखिम कम होगा।
क्या आरबीआई ग्राहकों के पैसे वापस दिलाने में मदद करेगा?
आरबीआई का मुख्य उद्देश्य बैंकिंग सिस्टम की स्थिरता बनाए रखना है। अगर कोई बैंक वित्तीय संकट में आता है, तो आरबीआई उसे सुधारने की कोशिश करता है। लेकिन अगर बैंक पूरी तरह से बंद हो जाता है, तो ग्राहकों को उनकी पूरी राशि वापस मिलना संभव नहीं होता। ऐसी स्थिति में डीआईसीजीसी की गारंटी के तहत केवल ₹5 लाख तक ही रकम मिल सकती है।
क्या अन्य बैंकों पर भी इसी तरह के प्रतिबंध लग सकते हैं?
आरबीआई लगातार सभी बैंकों की निगरानी करता है। अगर किसी बैंक की स्थिति खराब होती है, तो आरबीआई समय रहते कार्रवाई कर सकता है। इसलिए, यह संभव है कि भविष्य में अन्य बैंकों पर भी इसी तरह के प्रतिबंध लगाए जाएं।