Liquor Shops: उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा जारी नई आबकारी नीति के बाद शराब कारोबारियों में हलचल मची हुई है। प्रदेश के हर जिले में शराब दुकानों के आवंटन का समय और प्रक्रिया तय की जा रही है। इसी क्रम में महोबा जिले में ई-लॉटरी के माध्यम से शराब दुकानों का आवंटन किया जाएगा। इस लॉटरी प्रक्रिया में भाग लेने के लिए अब तक 1559 आवेदन आ चुके हैं, जिससे पता चलता है कि व्यापारियों में इसे लेकर जबरदस्त कंपिटिसन है।
कैसे होगी शराब दुकानों के आवंटन की प्रक्रिया?
06 मार्च को सुबह 10 बजे से दोपहर 12 बजे तक वीरभूमि राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय में लॉटरी प्रक्रिया आयोजित की जाएगी। इसमें भाग लेने वाले आवेदकों को आवेदन रसीद दिखानी होगी, तभी वे सभागार के अंदर प्रवेश कर सकेंगे। लॉटरी में सफल होने के बाद आवेदकों को 11 मार्च तक बेसिक लाइसेंस फीस जमा करनी होगी। अगर यह भुगतान समय पर नहीं हुआ, तो उनका लाइसेंस सस्पेन्ड कर दिया जाएगा और दुकान किसी अन्य को आवंटित कर दी जाएगी।
कितने आवेदन हुए हैं अब तक?
महोबा जिले में देशी शराब की 132, विदेशी मदिरा और बीयर की 54 और भांग की 8 फुटकर दुकानों के लिए कुल 1559 आवेदन प्राप्त हुए हैं। सभी आवेदकों की दुकानों के आवंटन के लिए पारदर्शी लॉटरी प्रक्रिया अपनाई जाएगी। इस नीति का उद्देश्य शराब लाइसेंसिंग प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करना है।
नई नीति से बढ़ी पारदर्शिता
नई आबकारी नीति के तहत शराब दुकानों के आवंटन में ई-लॉटरी का तरीका अपनाया जा रहा है, जिससे भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद की संभावनाओं को कम किया जा सके। लेकिन इसके बावजूद व्यापारियों में अनिश्चितता बनी हुई है। कई पुराने शराब ठेकेदारों को इस नई व्यवस्था से दिक्कत हो सकती है, क्योंकि अब उन्हें खुले और पारदर्शी मुकाबले में भाग लेना होगा।
हाईवे से हटाई जाएंगी शराब की दुकानें
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देशानुसार, राज्य में हाईवे किनारे स्थित शराब की दुकानों को हटाने का फैसला लिया गया है। कानपुर-लखनऊ हाईवे के गदनखेड़ा इलाके में एक बीयर शॉप, एक अंग्रेजी शराब की दुकान, एक मॉडल शॉप और देशी शराब का ठेका स्थित हैं। इसके अलावा, अजगैन के नवाबगंज क्षेत्र में भी हाईवे के किनारे अंग्रेजी शराब और बीयर की दुकानें मौजूद हैं। आदेश के तहत इन सभी दुकानों को हटाया जाएगा। यह फैसला सड़क सुरक्षा और यातायात को देखते हुए लिया गया है।
नई नीति से शराब कारोबारियों को क्या होगा फायदा?
- ई-लॉटरी से पारदर्शिता – यह सुनिश्चित करेगा कि किसी भी आवेदक को अनुचित लाभ न मिले और केवल पात्र व्यापारी ही लाइसेंस प्राप्त करें।
- कंपिटिसन में बढ़ोतरी – खुली लॉटरी प्रणाली के कारण व्यापारियों को निष्पक्ष रूप से भाग लेने का अवसर मिलेगा।
- सरकार को मिलेगा अधिक राजस्व – पारदर्शी नीलामी प्रक्रिया के कारण सरकार को अधिक राजस्व मिलने की संभावना है।
- अवैध शराब बिक्री पर लगाम – संगठित और नियमबद्ध शराब बिक्री के चलते अवैध शराब व्यापार को रोका जा सकेगा।
नई आबकारी पॉलिसी के तहत क्या बदल जाएगा?
- शराब के ठेकों के लाइसेंस पारदर्शी तरीके से वितरित किए जाएंगे।
- हाईवे और सार्वजनिक स्थलों के पास से शराब की दुकानों को हटाया जाएगा।
- नीलामी और लाइसेंस आवंटन की प्रक्रिया को ऑनलाइन किया जाएगा।
- शराब की अवैध बिक्री पर कड़ी निगरानी रखी जाएगी।
व्यापारियों की चिंता – क्या होगा उनका भविष्य?
नई आबकारी नीति से जहां एक ओर पारदर्शिता बढ़ेगी, वहीं दूसरी ओर कई व्यापारियों को नुकसान भी हो सकता है। जो लोग सालों से शराब का व्यापार कर रहे थे, वे अब इस कंपिटिसन माहौल में खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। कई लोगों को डर है कि यदि वे लॉटरी में सफल नहीं हुए, तो उनका धंधा बंद हो सकता है।
क्या नई नीति से अवैध शराब बिक्री पर लगेगी रोक?
राज्य सरकार का दावा है कि नई आबकारी नीति से अवैध शराब बिक्री पर लगाम लगेगी। लेकिन असल में यह कितना असरदार साबित होगा, यह देखने वाली बात होगी। कई मामलों में देखा गया है कि जब शराब के ठेके कम कर दिए जाते हैं, तो अवैध शराब का व्यापार बढ़ जाता है। सरकार को इस पर भी खास ध्यान देने की जरूरत होगी।
क्या नई नीति सरकार के लिए फायदेमंद होगी?
राज्य सरकार को नई आबकारी नीति से आर्थिक लाभ मिलने की उम्मीद है। यदि लॉटरी प्रक्रिया निष्पक्ष रहती है और अधिक बोली लगाने वालों को दुकानें मिलती हैं, तो सरकार को भारी मात्रा में राजस्व प्राप्त होगा। साथ ही, सरकार यह भी सुनिश्चित करेगी कि ठेकेदार नियमों का पालन करें और अवैध गतिविधियों में लिप्त न हों।