School New Order: पंजाब शिक्षा विभाग ने स्कूल बसों और वैनों में बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सुरक्षित स्कूल वाहन नीति के तहत नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं. इन निर्देशों का उद्देश्य सड़क दुर्घटनाओं को कम करना और स्कूल वाहन संचालन को सुरक्षित बनाना है.
ड्राइवर और कंडक्टर के लिए अनिवार्य डोप टेस्ट और पुलिस वैरीफिकेशन
नई नीति के तहत निजी स्कूलों के सभी बस, वैन ड्राइवर और कंडक्टरों के लिए डोप टेस्ट और पुलिस वैरीफिकेशन अनिवार्य कर दिया गया है. इसके साथ ही ड्राइवरों को आंखों की जांच करवानी होगी और इसकी रिपोर्ट जिला शिक्षा अधिकारी को सौंपी जाएगी. यह कदम यह सुनिश्चित करेगा कि वाहन चलाने वाले कर्मचारी शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ हों.
जिला स्तर पर सख्त निगरानी
दिशा-निर्देशों के अनुसार, जिला मजिस्ट्रेट (ईओ) निजी स्कूलों के प्रिंसिपल और वाहन कंडक्टरों की टेस्ट रिपोर्ट की जांच करेंगे. यदि किसी स्कूल द्वारा नियमों का उल्लंघन किया जाता है, तो जिला मजिस्ट्रेट के पास कार्रवाई करने का अधिकार होगा. इसके अलावा जिला शिक्षा अधिकारी भी प्रत्येक स्कूल का निरीक्षण करेंगे और सुनिश्चित करेंगे कि सभी नियमों का पालन हो रहा है.
सुरक्षा के प्रति स्कूलों की जिम्मेदारी
यदि किसी स्कूल के वाहन से जुड़ी कोई लापरवाही सामने आती है, तो स्कूल को इसके लिए सीधे तौर पर जिम्मेदार ठहराया जाएगा. यह प्रावधान सुनिश्चित करेगा कि स्कूल प्रशासन अपनी जिम्मेदारियों को गंभीरता से ले और बच्चों की सुरक्षा में कोई चूक न हो.
ड्राइवर और कंडक्टर के लिए अनिवार्य प्रक्रियाएं
- डोप टेस्ट: ड्राइवर और कंडक्टर को ड्रग्स के लिए जांच करवानी होगी.
- आंखों की जांच: सुनिश्चित किया जाएगा कि वाहन चालक की दृष्टि पूरी तरह से सही हो.
- पुलिस वैरीफिकेशन: यह सुनिश्चित करने के लिए कि चालक और कंडक्टर का कोई आपराधिक रिकॉर्ड न हो.
इन सभी प्रक्रियाओं के लिए ड्राइवरों और कंडक्टरों को संबंधित दस्तावेज जिला प्रशासन और स्कूल प्रशासन को सौंपने होंगे.
स्कूल वाहन नीति का उल्लंघन करने पर सख्त कार्रवाई
यदि कोई स्कूल सुरक्षित स्कूल वाहन नीति का पालन नहीं करता है, तो संबंधित स्कूल पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी. जिला मजिस्ट्रेट के पास यह अधिकार होगा कि वे लापरवाही करने वाले स्कूल के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करें. इसके साथ ही स्कूल को जुर्माना भी लगाया जा सकता है.
बच्चों की सुरक्षा के लिए उठाया गया महत्वपूर्ण कदम
इस नीति का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि स्कूल वाहन सुरक्षित और विश्वसनीय हों. बच्चों की सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए. यह सुनिश्चित किया जाएगा कि वाहन चालक नशे में न हों और उनकी शारीरिक और मानसिक स्थिति वाहन चलाने के लिए उपयुक्त हो.
जिला शिक्षा अधिकारियों की रिपोर्टिंग प्रणाली
पंजाब शिक्षा विभाग ने जिला शिक्षा अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे निजी स्कूलों से नियमित रूप से रिपोर्ट प्राप्त करें. इसमें स्कूल वाहन संचालन और ड्राइवरों की जांच से जुड़ी सभी जानकारी शामिल होगी. यह कदम नीति के प्रभावी कार्यान्वयन में मदद करेगा.
अभिभावकों की प्रतिक्रिया
इस नई नीति को लेकर अभिभावकों ने सकारात्मक प्रतिक्रिया दी है. उनका कहना है कि बच्चों की सुरक्षा के लिए यह कदम बहुत जरूरी था. साथ ही उन्होंने उम्मीद जताई है कि शिक्षा विभाग इस नीति को प्रभावी ढंग से लागू करेगा.
सरकार की सख्ती से क्या होंगे फायदे?
- बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित होगी: ड्राइवरों और कंडक्टरों की जांच से यह सुनिश्चित होगा कि वाहन सुरक्षित हाथों में हैं.
- सड़क दुर्घटनाओं में कमी आएगी: प्रशिक्षित और स्वस्थ ड्राइवर दुर्घटनाओं की संभावना को कम करेंगे.
- अभिभावकों का विश्वास बढ़ेगा: इस नीति से अभिभावकों को अपने बच्चों की सुरक्षा को लेकर भरोसा मिलेगा.
- स्कूल प्रशासन की जिम्मेदारी बढ़ेगी: स्कूलों को वाहन संचालन के प्रति अधिक जिम्मेदार बनाया जाएगा.