प्रॉपर्टी और खरीदते वक्त कितना पेमेंट कैश में करना है सही, इस लिमिट से ज्यादा हुआ तो हो सकती है कार्रवाई Buying Property

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Buying Property: प्रॉपर्टी खरीद-बिक्री में अक्सर देखा जाता है कि लोग बड़ी रकम नकद में लेने या देने की कोशिश करते हैं। लेकिन इनकम टैक्स विभाग (Income Tax Department) ने इस तरह के कैश लेन-देन पर सख्त नियम बना रखे हैं। अगर आप भी प्रॉपर्टी खरीदते समय कैश में बड़ी रकम का लेन-देन करते हैं, तो यह आपके लिए भारी पड़ सकता है। इन नियमों का उल्लंघन करने पर आयकर विभाग की ओर से भारी जुर्माना लगाया जा सकता है।

काले धन पर रोक लगाने के लिए बने हैं सख्त नियम (

सरकार ने काले धन (Black Money) पर रोक लगाने के उद्देश्य से इन नियमों को लागू किया है। दरअसल, कैश में किए गए लेनदेन का पता लगाना और उसे ट्रैक करना मुश्किल हो जाता है। इससे कई बार अवैध आय को छुपाया जाता है। इसीलिए आयकर अधिनियम की धारा 269SS और 269T के तहत नकद लेनदेन की सीमा तय कर दी गई है।

कैश में सिर्फ इतनी रकम तक कर सकते हैं लेनदेन

आयकर विभाग के नियमों के अनुसार, प्रॉपर्टी खरीदते समय आप अधिकतम 19,999 रुपये तक की ही नकद राशि का भुगतान कर सकते हैं। यानी 20,000 रुपये या उससे ज्यादा की राशि नकद में देना या लेना प्रतिबंधित है। अगर कोई व्यक्ति प्रॉपर्टी बेचते या खरीदते समय इस सीमा से ज्यादा नकद लेता या देता है, तो उस पर जुर्माना लग सकता है।

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धारा 269SS क्या है और कैसे काम करती है?

आयकर अधिनियम की धारा 269SS के तहत यह नियम लागू किया गया है। इसके मुताबिक कोई भी व्यक्ति अगर जमीन, मकान या कोई भी अचल प्रॉपर्टी बेचते समय 20,000 रुपये या उससे अधिक की नकद राशि लेता है, तो यह नियम का उल्लंघन माना जाएगा। इस स्थिति में जितनी नकद राशि ली गई है, उतनी ही राशि का जुर्माना लगाया जाएगा।

100 फीसदी पेनल्टी का मतलब क्या है?

अगर आपने प्रॉपर्टी बेचने के दौरान 20,000 रुपये से ज्यादा नकद राशि ली है, तो आपको उसी पूरी रकम को जुर्माने के रूप में चुकाना होगा। उदाहरण के तौर पर, अगर आपने 50,000 रुपये नकद में लिए हैं, तो आपको पूरे 50,000 रुपये जुर्माने के तौर पर भरने होंगे। इसी तरह अगर आपने 1 लाख रुपये नकद लिए हैं, तो वह पूरा 1 लाख रुपये जुर्माना बनेगा।

धारा 269T के तहत रद्द डील पर भी नियम लागू

अगर किसी वजह से प्रॉपर्टी डील रद्द हो जाती है और खरीदार को रकम लौटानी पड़ती है, तब भी इन नियमों का पालन जरूरी है। अगर विक्रेता खरीदार को 20,000 रुपये या उससे ज्यादा की नकद राशि लौटाता है, तो धारा 269T के तहत उस पर भी पेनल्टी लगाई जाएगी। यानी सिर्फ डील के समय ही नहीं बल्कि डील रद्द होने पर भी नकद लेन-देन से बचना जरूरी है।

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किन पर नहीं लागू होते ये नियम?

हालांकि यह नियम सरकार, सरकारी कंपनियों, बैंकों, NBFC और केंद्र सरकार द्वारा चिन्हित विशेष संस्थानों पर लागू नहीं होते। यानी अगर कोई सरकारी एजेंसी या बैंक इस तरह का ट्रांजैक्शन करता है तो उस पर इन नियमों का असर नहीं होगा। लेकिन आम नागरिकों और प्राइवेट संस्थाओं के लिए यह नियम पूरी तरह से लागू हैं।

कैश लेनदेन का रजिस्ट्रार पर असर

अक्सर लोग यह सोचते हैं कि रजिस्ट्रार कैश में हुए सौदे की वजह से रजिस्ट्री रोक देगा। लेकिन ऐसा नहीं है। रजिस्ट्री प्रक्रिया पूरी हो जाती है, लेकिन रजिस्ट्रार प्रॉपर्टी से जुड़े कैश लेन-देन का पूरा डेटा आयकर विभाग को भेज देता है। इसके बाद आयकर विभाग जांच कर सकता है और अगर किसी तरह की गड़बड़ी पाई जाती है तो नोटिस जारी कर सकता है।

कैसे करें सुरक्षित और कानूनी तरीके से भुगतान?

अगर आप प्रॉपर्टी खरीदना या बेचना चाहते हैं, तो आपको सुनिश्चित करना होगा कि 19,999 रुपये से ज्यादा की रकम चेक, बैंक ड्राफ्ट, RTGS, NEFT या किसी अन्य इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से ही दें या लें। इस तरह से किया गया भुगतान कानूनी रूप से मान्य होता है और किसी तरह की पेनल्टी का खतरा भी नहीं रहता।

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कैश ट्रांजैक्शन से जुड़ी अन्य जरूरी बातें

  1. किसी भी व्यवसाय या सौदे में 2 लाख रुपये या उससे ज्यादा की नकद राशि मंजूर करना या देना भी प्रतिबंधित है।
  2. एक दिन में एक व्यक्ति से 10 लाख रुपये या उससे ज्यादा की नकद जमा करने पर भी आयकर विभाग की नजर पड़ सकती है।
  3. शादी या किसी सामाजिक कार्यक्रम में भी 2 लाख रुपये से ज्यादा की नकद रकम देने या लेने पर आयकर नियमों का उल्लंघन माना जाता है।