नैशनल हाइवे नही बना तो किसानों को वापस मिलेगी जमीन! NH एक्ट में बड़ा बदलाव करने की है तैयारी NH Act

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NH Act: देश में नेशनल हाईवे (National Highway) बनाने की रफ्तार को और तेज करने के लिए मोदी सरकार ‘नेशनल हाईवे एक्ट’ में अहम बदलाव करने जा रही है। सूत्रों के मुताबिक, सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) ने इस कानून में कई बड़े बदलाव प्रस्तावित किए हैं। इन बदलावों का उद्देश्य न सिर्फ भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया को आसान और तेज बनाना है, बल्कि इससे जुड़ी कानूनी अड़चनों को भी खत्म करना है। इससे हाईवे प्रोजेक्ट्स पर काम तेजी से शुरू किया जा सकेगा और समय पर पूरे भी हो सकेंगे।

5 साल तक भूमि का उपयोग न करने पर लौटाई जाएगी जमीन

प्रस्तावित संशोधनों के तहत यदि सरकार किसी भूमि का अधिग्रहण करती है और 5 साल तक उसका उपयोग नहीं करती, तो वह भूमि उसके मूल मालिक को लौटा दी जाएगी। यानी अगर अधिग्रहित भूमि पर तय समय में हाईवे या उससे जुड़ा कोई अन्य प्रोजेक्ट नहीं बनता है, तो किसानों और भूमि मालिकों को अपनी जमीन वापस मिल सकेगी। इस बदलाव से भूमि मालिकों को भी राहत मिलेगी क्योंकि कई बार अधिग्रहण के बाद सालों तक भूमि खाली पड़ी रहती है।

मुआवजे पर आपत्ति दर्ज करने की सीमा भी तय

मंत्रालय के प्रस्तावित संशोधनों के अनुसार, अधिग्रहण के बाद मुआवजे की राशि पर भूमि मालिक या नेशनल हाईवे अथॉरिटी (NHAI) केवल 3 महीने के भीतर ही आपत्ति दर्ज कर पाएंगे। इसके बाद मुआवजे से जुड़ा कोई भी विवाद मान्य नहीं होगा। इससे भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया में तेजी आएगी और प्रोजेक्ट्स में देरी नहीं होगी। अभी तक मुआवजे को लेकर भूमि मालिक और सरकार के बीच कई सालों तक कानूनी विवाद चलते रहते हैं, जिससे हाईवे निर्माण पर असर पड़ता है।

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रेल, एयरपोर्ट से जोड़ने का मिलेगा अधिकार

सरकार ने प्रस्ताव किया है कि किसी भी राजमार्ग को रेल मार्ग, हवाई मार्ग या अन्य किसी ट्रांसपोर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर से जोड़ने के लिए इंटरचेंज बनाना अब आसान होगा। मतलब यह कि सरकार किसी भी हाईवे को रेलवे स्टेशन, एयरपोर्ट, बंदरगाह या अन्य परिवहन साधनों से जोड़ने के लिए इंटरचेंज को नेशनल हाईवे (NH) घोषित कर सकेगी। यह कदम भविष्य की जरूरतों और बेहतर कनेक्टिविटी को ध्यान में रखकर लिया जा रहा है।

अधिग्रहण प्रक्रिया में पारदर्शिता के लिए पोर्टल बनेगा

नए प्रस्तावों में यह भी शामिल है कि भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया में पारदर्शिता लाने के लिए सरकार एक ऑनलाइन पोर्टल तैयार करेगी। इस पोर्टल पर अधिग्रहण से जुड़े सभी नोटिस सार्वजनिक रूप से उपलब्ध कराए जाएंगे। इससे सभी संबंधित पक्षों को जानकारी रहेगी और कोई भी गुपचुप या विवादास्पद प्रक्रिया से बचा जा सकेगा। साथ ही इस पोर्टल के जरिए ही भूमि अधिग्रहण से जुड़ी हर जानकारी और समय-सीमा को मॉनिटर किया जा सकेगा।

टोल प्लाजा के लिए भी हो सकेगा अधिग्रहण

मंत्रालय ने प्रस्ताव में कहा है कि भविष्य में राजमार्ग खंडों के संचालन और यात्री सुविधाओं को बेहतर बनाने के लिए सरकार सड़क किनारे सुविधाओं (Way Side Amenities), टोल प्लाजा, सार्वजनिक उपयोगिताओं और प्रशासनिक कार्यालयों के लिए भी भूमि अधिग्रहण कर सकेगी। इससे यात्रियों को बेहतर सुविधाएं दी जा सकेंगी और राजमार्ग का संचालन अधिक असरदार हो पाएगा।

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अतिक्रमण रोकने के लिए सख्त नियम

भूमि अधिग्रहण से जुड़े मामलों में अक्सर देखा गया है कि अधिसूचना जारी होने के बाद लोग मुआवजा बढ़ाने के लालच में जमीन पर निर्माण कार्य जैसे घर या दुकान बनवा लेते हैं। सरकार इस नेचर पर रोक लगाने के लिए नया नियम लेकर आ रही है। प्रस्ताव के अनुसार, भूमि अधिग्रहण की अधिसूचना जारी होने के बाद किसी भी व्यक्ति द्वारा जमीन पर कोई भी नया निर्माण या अतिक्रमण नहीं किया जा सकेगा। अगर ऐसा होता है तो उसे अवैध माना जाएगा और उस पर कार्रवाई की जाएगी।

विभिन्न मंत्रालयों से भी ली गई राय

इस संशोधन पर अंतिम फैसला लेने से पहले सरकार ने नागरिक उड्डयन मंत्रालय, रेलवे मंत्रालय, रक्षा मंत्रालय, शिपिंग मंत्रालय, कोयला मंत्रालय, पर्यावरण मंत्रालय और कानून एवं राजस्व विभागों से भी राय ली है। इससे यह स्पष्ट होता है कि सरकार इस कानून में बदलाव को लेकर गंभीर है और विभिन्न विभागों से जुड़े मामलों को भी ध्यान में रख रही है ताकि सभी पक्षों के बीच तालमेल बना रहे।

एनएचएआई को मिलेगा ज्यादा अधिकार

प्रस्ताव में यह भी कहा गया है कि हाईवे अथॉरिटी को भूमि अधिग्रहण और उससे जुड़े अन्य मामलों में अधिक अधिकार दिए जाएंगे। इससे न सिर्फ परियोजनाओं में तेजी आएगी, बल्कि स्थानीय स्तर पर विवादों को भी कम किया जा सकेगा। इससे एनएचएआई को जमीन के अधिग्रहण से लेकर निर्माण कार्यों तक तेजी से फैसले लेने में मदद मिलेगी।

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