Electricity Stealing: देशभर में बिजली उपभोक्ताओं के घरों में अब स्मार्ट मीटर लगाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। विद्युत विभाग के कर्मचारी उपभोक्ताओं के घर-घर जाकर पुराने इलेक्ट्रॉनिक मीटर को हटाकर नए स्मार्ट मीटर लगा रहे हैं। इस कदम का मुख्य उद्देश्य बिजली चोरी रोकना और उपभोक्ताओं को उनकी आवश्यकता के अनुसार बिजली खपत को मॉनिटर करने की सुविधा प्रदान करना है।
बिजली चोरी रोकने में स्मार्ट मीटर की भूमिका
स्मार्ट मीटर लगाने के पीछे सरकार की मंशा अवैध रूप से बिजली के उपयोग को रोकना है। पारंपरिक मीटर की तुलना में स्मार्ट मीटर ज्यादा सुरक्षित होते हैं और इनमें गड़बड़ी की संभावना भी कम होती है। यह उपभोक्ताओं को उनकी वास्तविक बिजली खपत के बारे में जानकारी प्रदान करता है, जिससे फालतू बिजली खर्च को कम किया जा सकता है।
उपभोक्ताओं का सहयोग जरूरी
हालांकि, कुछ उपभोक्ता अभी भी स्मार्ट मीटर लगाने को लेकर डाउट मे हैं और विभागीय कर्मचारियों का सहयोग नहीं कर रहे हैं। इससे विद्युत विभाग को मीटर लगाने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। इस संबंध में एसडीओ अनिरुद्ध मौर्य ने उपभोक्ताओं से अपील की है कि वे अपने घरों में स्मार्ट मीटर लगाने में सहयोग करें, ताकि बिजली चोरी पर अंकुश लगाया जा सके और सही बिलिंग प्रणाली को लागू किया जा सके।
स्मार्ट मीटर की खासियतें
स्मार्ट मीटर पारंपरिक मीटरों से कई मामलों में बेहतर होते हैं। इनमें कुछ मुख्य खासियत इस प्रकार हैं:
- रीयल-टाइम डेटा: उपभोक्ता अपनी बिजली खपत की जानकारी रीयल-टाइम में देख सकते हैं।
- ऑटोमैटिक बिलिंग: मीटर रीडर की आवश्यकता समाप्त हो जाती है, क्योंकि मीटर की रीडिंग ऑटोमैटिक बिजली विभाग तक पहुंच जाती है।
- बिजली चोरी पर रोक: स्मार्ट मीटर छेड़छाड़ को पहचानने में सक्षम होते हैं, जिससे बिजली चोरी को रोका जा सकता है।
- बिजली बचत की सुविधा: उपभोक्ता अपने उपयोग को मॉनिटर करके अनावश्यक बिजली खपत को कम कर सकते हैं।
बिजली विभाग द्वारा उठाए गए कदम
बिजली विभाग स्मार्ट मीटर लगाने के कार्य को सुचारू रूप से संपन्न करने के लिए कई कदम उठा रहा है। सरकार ने इस प्रक्रिया को पूरी तरह से मुफ़्त रखा है और उपभोक्ताओं से कोई एक्स्ट्रा चार्ज नहीं लिया जा रहा है।