RBI Bank: भारतीय रिज़र्व बैंक (Reserve Bank of India – RBI) को भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 22 के तहत देश में बैंक नोट जारी करने का खास अधिकार प्राप्त है। इसके अंतर्गत आरबीआई ₹2, ₹5, ₹10, ₹20, ₹50, ₹100, ₹200, ₹500 और ₹2000 तक के नोट छाप सकता है। लेकिन, क्या आप जानते हैं कि ₹1 का नोट छापने का अधिकार आरबीआई के पास नहीं है? इसकी जिम्मेदारी वित्त मंत्रालय के पास होती है।
₹1 के नोट और सिक्के को कौन जारी करता है?
भारत में ₹1 का नोट या सिक्का भारतीय रिज़र्व बैंक नहीं, बल्कि वित्त मंत्रालय (Ministry of Finance) जारी करता है। हालांकि, इनका संचार (Circulation) आरबीआई के माध्यम से ही होता है। इसका प्रमुख कारण यह है कि भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 24 में ₹1 के नोट को शामिल नहीं किया गया है। इसके बजाय, यह अधिकार कॉइनेज एक्ट (Coinage Act) के तहत भारत सरकार को दिया गया है।
अन्य नोटों से अलग है ₹1 का नोट और सिक्का
₹1 के नोट और सिक्के की कुछ खासियत हैं जो इसे अन्य नोटों से अलग बनाती हैं:
- आरबीआई गवर्नर का हस्ताक्षर नहीं – अन्य नोटों पर आरबीआई गवर्नर के हस्ताक्षर होते हैं, लेकिन ₹1 के नोट पर वित्त सचिव (Finance Secretary) का हस्ताक्षर होता है।
- सिल्वर लाइन का अभाव – ₹1 के नोट पर सिल्वर लाइन (Silver Line) नहीं होती, जबकि अन्य सभी नोटों पर यह होती है।
- ‘मैं धारक को अदा करने का वचन देता हूं’ नहीं लिखा होता – अन्य बैंक नोटों पर यह वाक्य लिखा होता है, लेकिन ₹1 के नोट पर यह नहीं लिखा जाता।
- छपाई और संचार की अलग व्यवस्था – ₹1 का नोट बेशक वित्त मंत्रालय द्वारा छापा जाता है, लेकिन इसका संचार भारतीय रिज़र्व बैंक के माध्यम से होता है।
₹1 के नोट की छपाई पर दो बार लगी रोक
भारत में ₹1 के नोट की छपाई दो बार रोकी गई, लेकिन इसकी वैधता कभी समाप्त नहीं हुई।
- पहली बार 1926 में – ब्रिटिश शासन के दौरान ₹1 के नोट की छपाई को बंद कर दिया गया था।
- दूसरी बार 1994 में – लागत और अन्य कारणों से एक बार फिर से ₹1 के नोट की छपाई रोक दी गई।
- फिर से छपाई शुरू (1940 और 2015 में) – 1940 में दोबारा ₹1 के नोट की छपाई शुरू हुई, और 2015 में इसे फिर से जारी किया गया। हालांकि, आज के समय में यह नोट कम देखने को मिलता है, लेकिन इसकी वैधता अभी भी बरकरार है।
₹1 का नोट क्यों महत्वपूर्ण है?
₹1 का नोट भारत की मौद्रिक प्रणाली (Monetary System) में एक अहम स्थान रखता है। हालांकि इसका चलन सिक्कों की तुलना में कम है, फिर भी यह एक वैध मुद्रा के रूप में कार्य करता है।
- संप्रभुता का प्रतीक – ₹1 का नोट सीधे भारत सरकार द्वारा जारी किया जाता है, जो इसे खास बनाता है।
- लेनदेन में उपयोग – छोटे लेनदेन में इसका उपयोग किया जाता है, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में।
- हिस्टॉरिकल मूल्य – कई लोग ₹1 के नोट को ऐतिहासिक के रूप में रखते हैं।
₹1 के सिक्के की बढ़ती भूमिका
हाल के वर्षों में, सरकार ने ₹1 के सिक्कों की संख्या बढ़ा दी है। इसकी प्रमुख वजह यह है कि नोट की छपाई पर अधिक खर्च आता है, जबकि सिक्कों का जीवनकाल लंबा होता है।
- सिक्के 10 से 15 साल तक चलते हैं, जबकि नोट कुछ सालों में खराब हो जाते हैं।
- छोटे लेनदेन में ₹1 के सिक्कों का उपयोग अधिक होता है।