Property Registry: किसी भी प्रॉपर्टी का मालिकाना हक उसकी रजिस्ट्री कराने के बाद ही मिलता है। लेकिन प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री में मोटी रकम खर्च होती है, जिसमें स्टांप ड्यूटी, रजिस्ट्रेशन फीस और अन्य दस्तावेजी चार्ज शामिल होते हैं। सही जानकारी के अभाव में यह खर्च और भी ज्यादा हो सकता है। अगर आप कुछ खास नियमों को अपनाते हैं, तो इसमें अच्छी-खासी बचत कर सकते हैं।
मार्केट वैल्यू का आकलन करें
मार्केट वैल्यू का सही आकलन करने से रजिस्ट्रेशन में बड़ा फायदा हो सकता है। कई बार प्रॉपर्टी का सर्किल रेट अधिक होता है जबकि वास्तविक बाजार मूल्य कम होता है। ऐसे में:
- स्टांप ड्यूटी अधिक लगती है, जिससे एक्स्ट्रा खर्च बढ़ता है।
- रजिस्ट्रार या सब-रजिस्ट्रार के पास अपील करने पर स्टांप ड्यूटी को कम कराया जा सकता है।
- स्टेट स्टांप एक्ट के तहत अपील करने से सेल डीड को पेंडिंग रखा जाता है और उपायुक्त द्वारा अंतिम फैसला लिया जाता है।
निर्माणाधीन प्रॉपर्टी में रजिस्ट्रेशन बचत
अगर आप निर्माणाधीन प्रॉपर्टी खरीदते हैं, तो इसमें दो अलग-अलग एग्रीमेंट होते हैं:
- सेल एग्रीमेंट – जिसमें जमीन के अविभाजित हिस्से की कीमत शामिल होती है।
- कंस्ट्रक्शन एग्रीमेंट – जिसमें भवन निर्माण की लागत शामिल होती है।
इस प्रकार:
- बिना बंटवारे वाली जमीन खरीदने पर केवल भूमि की कीमत पर ही रजिस्ट्रेशन चार्ज देना पड़ता है।
- बिल्ट-अप क्षेत्र के लिए रजिस्ट्रेशन चार्ज नहीं लिया जाता, जिससे कुल खर्च कम हो जाता है।
महिला के नाम पर रजिस्ट्री कराने से छूट
कई राज्य सरकारें महिलाओं के नाम पर प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन करने पर छूट प्रदान करती हैं। उदाहरण के लिए:
- दिल्ली में पुरुषों के लिए रजिस्ट्रेशन चार्ज 6% है, जबकि महिलाओं के लिए 4%।
- हरियाणा, यूपी, पंजाब, राजस्थान जैसे राज्यों में भी महिलाओं के नाम पर रजिस्ट्रेशन में छूट मिलती है।
रजिस्ट्रेशन पर टैक्स में छूट
- रेजिडेंशियल और कमर्शियल प्रॉपर्टी पर अलग-अलग रजिस्ट्रेशन चार्ज होते हैं।
- इनकम टैक्स के तहत रेजिडेंशियल प्रॉपर्टी की रजिस्ट्रेशन फीस पर सालाना 1.5 लाख रुपये तक की टैक्स छूट ली जा सकती है।
राज्यों के नियमों की जानकारी रखें
हर राज्य की स्टांप ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन फीस अलग-अलग होती है। कई बार राज्य सरकारें समय-समय पर रजिस्ट्रेशन चार्ज में छूट देती हैं।
- कुछ राज्यों में ब्लड रिलेशन में प्रॉपर्टी ट्रांसफर करने पर स्टांप ड्यूटी कम लगती है।
- महाराष्ट्र, पंजाब और उत्तर प्रदेश में गिफ्ट डीड के जरिए प्रॉपर्टी ट्रांसफर करने पर स्टांप ड्यूटी कम या न के बराबर होती है।