School Holiday: जनवरी का महीना खत्म होते ही नया साल अपने अगले पड़ाव पर पहुंचता है। फरवरी का आगमन सिर्फ एक महीने का बदलना नहीं है, बल्कि यह त्योहारों की शुरुआत का भी प्रतीक है। इस महीने बच्चों, युवाओं और बुजुर्गों को नई उम्मीदों और उत्साह के साथ त्योहारों का इंतजार रहता है। खासकर, बसंत पंचमी और सरस्वती पूजा इस महीने के प्रमुख आकर्षण हैं।
फरवरी की शुरुआत में ही मिलेंगी छुट्टियां
अगर आप छुट्टियों का इंतजार कर रहे हैं, तो फरवरी का पहला सप्ताह आपके लिए खुशियां लेकर आ रहा है। इस महीने की शुरुआत में ही दो दिनों की लगातार छुट्टी मिलने वाली है। 2 फरवरी को रविवार है और 3 फरवरी को बसंत पंचमी का त्योहार मनाया जाएगा। इस कारण स्कूल, कॉलेज और अधिकतर सरकारी दफ्तर बंद रहेंगे। यह समय परिवार के साथ समय बिताने और त्योहार का आनंद लेने का बेहतरीन मौका है।
2025 में छुट्टियों का कैलेंडर
सरकारी छुट्टियां हर किसी के जीवन में खास होती हैं। 2025 में सरकारी कर्मचारियों को जनवरी में 5, फरवरी में 8, मार्च में 9, अप्रैल में 9, मई में 7, जून में 7, जुलाई में 4, अगस्त में 7, सितंबर में 7, अक्टूबर में 10, नवंबर में 5, और दिसंबर में 6 दिन की छुट्टी मिलेगी। फरवरी की 8 छुट्टियों में से बसंत पंचमी का त्योहार सबसे खास रहेगा।
बसंत पंचमी का महत्व
बसंत पंचमी का त्योहार वसंत ऋतु के आगमन का प्रतीक है। इस दिन प्रकृति नए रंगों से सजती है और वातावरण में एक नई ऊर्जा का संचार होता है। यह त्योहार विशेष रूप से विद्या, कला और संगीत की देवी मां सरस्वती को समर्पित है। इस दिन मां सरस्वती की पूजा की जाती है और ज्ञान की आराधना की जाती है।
क्यों मनाई जाती है सरस्वती पूजा?
सरस्वती पूजा भारतीय संस्कृति और परंपरा का अभिन्न हिस्सा है। यह पर्व विशेष रूप से छात्रों, कलाकारों और विद्वानों के लिए खास होता है। ऐसा माना जाता है कि मां सरस्वती की पूजा से ज्ञान, बुद्धि और सृजनात्मकता में बढ़ोतरी होती है। इस दिन पीले रंग के कपडे पहनने का विशेष महत्व है क्योंकि पीला रंग ऊर्जा, समृद्धि और वसंत ऋतु का प्रतीक माना जाता है।
त्योहार के दिन की परंपराएं
बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की प्रतिमा की स्थापना की जाती है। घरों, विद्यालयों और सामुदायिक स्थानों पर पूजा की जाती है। इस दिन पीले फूल, हल्दी, चावल और पीले कपड़ों का प्रयोग किया जाता है। बच्चों को इस दिन अक्षर लेखन की परंपरा सिखाई जाती है, जिसे ‘विद्यारंभ’ कहा जाता है।
सरस्वती पूजा में पीले रंग का महत्व
बसंत पंचमी के दिन पीले रंग का खास महत्व है। यह रंग न केवल वसंत ऋतु का प्रतीक है, बल्कि सकारात्मक ऊर्जा और खुशहाली का भी प्रतीक है। पूजा स्थल पर पीले फूलों और पीले कपड़ों का प्रयोग किया जाता है। लोग इस दिन पीले पकवान बनाते हैं और पीले रंग के वस्त्र पहनते हैं।
बच्चों और युवाओं के लिए खास होता है यह दिन
बसंत पंचमी का दिन बच्चों और युवाओं के लिए बेहद खास होता है। इस दिन स्कूलों और कॉलेजों में स्पेशल पूजा-अर्चना का आयोजन किया जाता है। छात्रों को मां सरस्वती की कृपा प्राप्त करने के लिए प्रार्थना करने की प्रेरणा दी जाती है। इसके साथ ही यह दिन पढ़ाई के क्षेत्र में नए लक्ष्यों को निर्धारित करने का अवसर भी देता है।
बसंत पंचमी के साथ शुरू होती है होली की तैयारी
बसंत पंचमी के साथ ही होली के त्योहार की तैयारी शुरू हो जाती है। इसे होली के आगमन का पहला संकेत भी माना जाता है। कई स्थानों पर इस दिन गुलाल उड़ाकर होली का उत्साह दिखाया जाता है। यह त्योहार लोगों के जीवन में रंग और उत्साह भर देता है।