Crop Safe Tips: भारत एक कृषि प्रधान देश है, जहां 75% से अधिक आबादी की आजीविका कृषि पर निर्भर है. देशभर के किसान गेहूं, धान, मक्का, मसूर, चना और मटर जैसी रबी और खरीफ फसलों की खेती करते हैं. लेकिन किसानों के लिए नीलगाय एक बड़ी समस्या बन गई है. ये नीलगाय झुंड में आकर कुछ ही घंटों में फसलों को बर्बाद कर देती हैं. जिससे किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ता है.
नीलगाय का फसलों पर प्रभाव
नीलगाय केवल फसलों को खाती ही नहीं. बल्कि अपने पैरों से रौंदकर उन्हें बर्बाद भी करती हैं. इसका असर यह होता है कि किसान अपनी लागत तक नहीं निकाल पाते. जानकार बताते हैं कि जंगलों के कटने के कारण नीलगाय अब मैदानी इलाकों में ज्यादा दिखाई देती हैं. खेतों में फसल के रूप में आसानी से चारा मिलने के कारण नीलगाय इन इलाकों का रुख करती हैं.
मैदानी इलाकों में नीलगाय की अधिकता
पशु विशेषज्ञों का कहना है कि नीलगाय पहाड़ी इलाकों में कम पाई जाती हैं, क्योंकि उन्हें ऊंचाई पर चढ़ने में कठिनाई होती है. मैदानी इलाकों में जहां अधिक खेती होती है. उन्हें चारे की भरपूर उपलब्धता मिलती है. यही कारण है कि नीलगाय इन इलाकों में किसानों के लिए बड़ी समस्या बन गई हैं.
नीलगाय भगाने का पारंपरिक समाधान
कई किसान सोचते हैं कि नीलगाय को भगाना मुश्किल और महंगा काम है. उन्हें लगता है कि इसके लिए महंगी रासायनिक दवाइयां खरीदनी पड़ेंगी. लेकिन वास्तव में ऐसा नहीं है. कुछ सरल घरेलू उपाय अपनाकर किसान नीलगाय को अपने खेतों से दूर रख सकते हैं.
अंडे से बनाएं नीलगाय भगाने वाला घोल
नीलगाय को भगाने के लिए अंडे से बना एक विशेष घोल काफी प्रभावी हो सकता है. इसके लिए आपको निम्नलिखित सामग्री और विधि अपनानी होगी:
सामग्री:
- 15 अंडे
- 50 ग्राम वाशिंग पाउडर
- 25 लीटर पानी
विधि:
- सबसे पहले अंडों को फोड़कर 25 लीटर पानी में मिला दें.
- इसमें 50 ग्राम वाशिंग पाउडर डालकर घोल को अच्छी तरह से मिलाएं.
- इस घोल को अपने खेतों में फसलों पर छिड़कें.
घोल की गंध का प्रभाव
इस घोल की गंध नीलगाय और आवारा मवेशियों को खेतों से दूर रखती है. विशेषज्ञों का कहना है कि अंडों से निकलने वाली यह गंध नीलगाय को खेतों के पास आने से रोकती है. गर्मी और सर्दी के मौसम में इस घोल का छिड़काव करना फसलों को सुरक्षित रखने का एक आसान और सस्ता उपाय है.
किसान इस उपाय को क्यों अपनाएं?
- सस्ता और प्रभावी: यह घोल बनाना महंगी रासायनिक दवाइयों की तुलना में काफी सस्ता है.
- आसान और प्राकृतिक: इस घोल को बनाने और छिड़कने की प्रक्रिया बेहद आसान है. इसमें किसी खास उपकरण की जरूरत नहीं होती.
- फसलों की सुरक्षा: घोल का छिड़काव करने से फसलें सुरक्षित रहती हैं, और किसान को आर्थिक नुकसान नहीं उठाना पड़ता.
किन राज्यों में सबसे ज्यादा समस्या?
नीलगाय का प्रकोप बिहार, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, मध्य प्रदेश और राजस्थान जैसे राज्यों में सबसे अधिक देखा जाता है. ये राज्य मुख्य रूप से कृषि आधारित हैं और यहां के किसानों को नीलगाय से काफी नुकसान उठाना पड़ता है.
अन्य उपाय जो किसान अपना सकते हैं
- बाड़ लगाना: खेतों के चारों ओर कांटेदार बाड़ लगाने से नीलगाय को रोकने में मदद मिल सकती है.
- सौर ऊर्जा से चलने वाले उपकरण: बाजार में ऐसे उपकरण उपलब्ध हैं जो तेज रोशनी और आवाज से नीलगाय को दूर रखते हैं.
- खेतों में जानवरों के डराने वाले मॉडल: खेतों में मानव या जानवर के पुतले रखने से नीलगाय डरकर भाग सकती हैं.
नीलगाय से बचाव के उपाय अपनाने की जरूरत
नीलगाय से बचने के उपाय किसानों के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं. अगर किसान इन उपायों को अपनाते हैं, तो वे अपनी फसलों को सुरक्षित रख सकते हैं. सरकार और स्थानीय प्रशासन को भी इस समस्या को हल करने के लिए जागरूकता अभियान चलाने और सस्ते उपकरण उपलब्ध कराने की दिशा में कदम उठाने चाहिए.