Haryana News: हरियाणा के रोहतक जिले के छोटे से गांव मोरखेड़ी की बेटी प्रियंका ओहल्याण ने भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट बनकर पूरे राज्य और देश का नाम रोशन किया है। बैंगलोर में हुई पासिंग आउट परेड में प्रियंका को लेफ्टिनेंट के पद पर कमीशन मिला, जिससे उनके परिवार और गांव में जश्न का माहौल है।
बचपन से ही मेधावी छात्रा रहीं प्रियंका
प्रियंका का जन्म अप्रैल 2000 में मोरखेड़ी गांव के एक साधारण परिवार में हुआ। उनके पिता राजेश ओहल्याण वन विभाग में फॉरेस्ट गार्ड हैं और मां सरोज देवी गृहिणी थीं। छोटी उम्र में मां का साया सिर से उठ जाने के बावजूद प्रियंका ने अपनी मेहनत और दृढ़ संकल्प से अपने सपनों को पूरा किया।
शिक्षा में सुधार की शुरुआत
प्रियंका बचपन से ही पढ़ाई में बहुत तेज थीं। उन्होंने अपनी 10वीं तक की पढ़ाई हसनगढ़ स्थित दिल्ली इंटरनेशनल स्कूल से की और 12वीं की पढ़ाई खरखौदा से पूरी की। इसके बाद, उन्होंने स्नातक की पढ़ाई के लिए दिल्ली यूनिवर्सिटी का रुख किया। पढ़ाई के प्रति उनकी लगन और मेहनत का परिणाम आज सभी के सामने है।
सीडीएस परीक्षा पास कर सेना में बनाई जगह
जब प्रियंका अपनी स्नातक की पढ़ाई पूरी करने वाली थीं, उसी दौरान उन्होंने अक्टूबर 2020 में संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) द्वारा आयोजित कंबाइंड डिफेंस सर्विसेज (CDS) परीक्षा दी। इस कठिन परीक्षा को पास करने के बाद, उन्हें 7 जनवरी 2021 को बैंगलोर स्थित आर्म्ड फोर्सेज मेडिकल कॉलेज में प्रशिक्षण के लिए भेजा गया। उन्होंने इस परीक्षा की तैयारी बिना किसी कोचिंग के, पूरी तरह से सेल्फ स्टडी के जरिए की थी।
बैंगलोर में पूरी की कठिन ट्रेनिंग
प्रियंका ने बैंगलोर में भारतीय सेना की कठिन ट्रेनिंग पूरी की। इस दौरान उन्हें शारीरिक और मानसिक रूप से मजबूत बनाया गया, ताकि वे भारतीय सेना में एक सक्षम अधिकारी के रूप में अपनी भूमिका निभा सकें। ट्रेनिंग के दौरान उन्हें विभिन्न युद्ध कौशल, नेतृत्व क्षमता और सैन्य रणनीतियों की बारीकियां सिखाई गईं।
पासिंग आउट परेड में हुआ लेफ्टिनेंट पद पर चयन
बैंगलोर में आयोजित भव्य पासिंग आउट परेड के दौरान प्रियंका को लेफ्टिनेंट के पद पर नियुक्त किया गया। इस समारोह में सेना के उच्च अधिकारियों और उनके परिवार के सदस्यों ने भाग लिया। प्रियंका के लेफ्टिनेंट बनने की खबर मिलते ही पूरे गांव में जश्न का माहौल बन गया और ग्रामीणों ने मिठाइयां बांटी।
परिवार और गांव के लोगों को प्रियंका पर गर्व
प्रियंका के चाचा अनिल ओहल्याण ने बताया कि प्रियंका शुरू से ही मेहनती और आत्मनिर्भर रही हैं। उन्होंने कहा कि परिवार को उनकी इस सफलता पर गर्व है और उनकी यह उपलब्धि न सिर्फ परिवार बल्कि पूरे गांव के लिए प्रेरणादायक है।
युवाओं के लिए प्रेरणा बनीं प्रियंका
प्रियंका की सफलता की कहानी उन सभी युवाओं के लिए प्रेरणा है, जो अपने सपनों को साकार करने के लिए मेहनत कर रहे हैं। खासकर ग्रामीण इलाकों में रहने वाली बेटियों के लिए उनकी यह उपलब्धि एक मिसाल है कि अगर सही दिशा में मेहनत की जाए, तो कोई भी लक्ष्य मुश्किल नहीं होता।
सेना में महिलाओं की बढ़ती भूमिका
प्रियंका ओहल्याण का सेना में शामिल होना इस बात का प्रमाण है कि अब महिलाएं भी रक्षा क्षेत्र में अहम योगदान दे रही हैं। हाल के वर्षों में, भारतीय सेना में महिलाओं की संख्या तेजी से बढ़ रही है और वे विभिन्न महत्वपूर्ण पदों पर अपनी सेवाएं दे रही हैं।
प्रियंका की सफलता का राज
प्रियंका का मानना है कि सफलता का कोई शॉर्टकट नहीं होता। उन्होंने अपनी सफलता का श्रेय कड़ी मेहनत, अनुशासन और आत्मविश्वास को दिया। उनका कहना है कि अगर कोई व्यक्ति अपने लक्ष्य को लेकर गंभीर है और निरंतर मेहनत करता है, तो वह निश्चित रूप से सफलता प्राप्त कर सकता है।
ग्रामीण बेटियों के लिए एक मिसाल
प्रियंका की यह उपलब्धि खासकर ग्रामीण इलाकों की बेटियों के लिए एक प्रेरणादायक कहानी है। उन्होंने साबित किया कि अगर मेहनत और लगन हो, तो कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं है। उनका सफर यह दर्शाता है कि साधारण परिवार से आने वाली बेटियां भी बड़े सपने देख सकती हैं और उन्हें साकार कर सकती हैं।