Lucknow to Kanpur: उत्तर प्रदेश में लखनऊ-कानपुर एक्सप्रेसवे के निर्माण कार्य को तेजी से पूरा करने के लिए प्रशासन ने बड़ा फैसला लिया है। इस हाईवे पर भारी वाहनों की आवाजाही होली के बाद मई 2025 तक पूरी तरह से बंद रहेगी। भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) ने यह निर्णय लिया है ताकि निर्माण कार्य में किसी तरह की बाधा न आए और परियोजना को तय समय पर पूरा किया जा सके। इस एक्सप्रेसवे के बनने से लखनऊ और कानपुर के बीच सफर का समय काफी कम हो जाएगा और लोगों को जाम की समस्या से राहत मिलेगी।
क्यों लिया गया भारी वाहनों की आवाजाही पर रोक लगाने का फैसला?
लखनऊ-कानपुर एक्सप्रेसवे पर फिलहाल हर दिन करीब 1 लाख भारी वाहन गुजरते हैं। इनकी वजह से निर्माण कार्यों में लगातार बाधा आ रही थी और काम की गति धीमी हो रही थी। प्रशासन का मानना है कि अगर यह निर्माण कार्य समय से पूरा करना है तो भारी वाहनों की आवाजाही को कुछ समय के लिए रोकना जरूरी था। इसीलिए होली के बाद से मई 2025 तक इस हाईवे पर ट्रकों और अन्य भारी वाहनों के प्रवेश पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया गया है।
कब तक पूरा होगा एक्सप्रेसवे का निर्माण कार्य?
लखनऊ-कानपुर ग्रीनफील्ड एलिवेटेड एक्सप्रेसवे की डेडलाइन जून 2025 तय की गई है। पहले उम्मीद थी कि अप्रैल से इस एक्सप्रेसवे का ट्रायल शुरू हो जाएगा, लेकिन काम की धीमी गति को देखते हुए डेडलाइन को बढ़ाना पड़ा। इस हाईवे का लगभग 80 फीसदी काम पूरा हो चुका है और एलिवेटेड हाईवे का निर्माण कार्य पूरा होते ही जाम की समस्या काफी हद तक खत्म हो जाएगी। प्रशासन ने यह भी संकेत दिया है कि अगर सबकुछ ठीक रहा, तो जून 2025 से इस एक्सप्रेसवे पर यातायात शुरू किया जा सकता है।
14 फरवरी को नितिन गडकरी ने किया था एक्सप्रेसवे का निरीक्षण
बीते 14 फरवरी को केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने इस एक्सप्रेसवे का निरीक्षण किया था। इस दौरान उनके साथ सांसद रमेश अवस्थी और देवेंद्र भोले भी मौजूद थे। गडकरी ने अधिकारियों से बातचीत के दौरान निर्माण कार्य में तेजी लाने के निर्देश दिए थे और इसे समय पर पूरा करने की बात कही थी। इस एक्सप्रेसवे के निर्माण पर करीब 8,000 करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं। सरकार का मानना है कि यह हाईवे लखनऊ और कानपुर के बीच यातायात को सुगम बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
कैसा होगा लखनऊ-कानपुर एक्सप्रेसवे?
यह एक्सप्रेसवे 8 लेन का होगा। शुरुआत में इसे 6 लेन बनाने की योजना थी, लेकिन बढ़ते यातायात को देखते हुए इसे 8 लेन का करने का फैसला लिया गया। फिलहाल लखनऊ और कानपुर के बीच का सफर लगभग 3 घंटे में पूरा होता है। लेकिन इस एक्सप्रेसवे के चालू होने के बाद यह सफर सिर्फ 45 मिनट में पूरा किया जा सकेगा। इससे दोनों शहरों के बीच कनेक्टिविटी बेहतर होगी और व्यापारिक गतिविधियां भी बढ़ेंगी।
किन वैकल्पिक मार्गों से होगा भारी वाहनों का डायवर्जन?
अब सवाल यह उठता है कि जब इस एक्सप्रेसवे पर भारी वाहनों की आवाजाही बंद हो गई है, तो इन्हें किन ऑप्शनल मार्गों से भेजा जाएगा? प्रशासन ने इसका समाधान निकालते हुए भारी वाहनों के लिए अलग-अलग रूट तैयार किए हैं।
- लखनऊ से कानपुर जाने वाले ट्रकों और अन्य भारी वाहनों को
- दारोगा खेड़ा के पास स्लिप रोड से आउटर रिंग रोड पर भेजा जाएगा।
- कानपुर से लखनऊ आने वाले ट्रकों को
- दही चौकी के पास डायवर्ट किया जाएगा।
- कुछ वाहनों को बनी से मोहनलालगंज, गोसाईगंज होते हुए पूर्वांचल एक्सप्रेसवे से निकाला जाएगा।
इस तरह से ट्रैफिक डायवर्जन की पूरी योजना तैयार कर ली गई है ताकि हाईवे निर्माण कार्य प्रभावित न हो और वैकल्पिक मार्गों पर भी जाम की समस्या न बढ़े।
63 किलोमीटर लंबा होगा एक्सप्रेसवे
लखनऊ-कानपुर एक्सप्रेसवे 63 किलोमीटर लंबा होगा। इसमें 18 किलोमीटर एलिवेटेड रोड और 45 किलोमीटर ग्रीनफील्ड रूट बनाया जा रहा है। इसके अलावा, इस हाईवे पर कई अहम निर्माण कार्य भी किए जा रहे हैं:
- 3 बड़े पुल
- 28 छोटे पुल
- 38 अंडरपास
- 6 बड़े फ्लाईओवर
इस एक्सप्रेसवे का सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि इससे लखनऊ और कानपुर के बीच ट्रैफिक जाम की समस्या लगभग खत्म हो जाएगी।