Bank Account Blocked: आज के डिजिटल युग में यूपीआई (UPI) और क्यूआर कोड के माध्यम से लेनदेन करना आम बात हो गई है। चाहे दुकान पर सामान खरीदना हो या ऑनलाइन पेमेंट करना हो, यूपीआई ने सब कुछ आसान बना दिया है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस आसानी के साथ-साथ साइबर फ्रॉड का खतरा भी बढ़ गया है?
अगर आप भी यूपीआई और क्यूआर कोड के जरिए पेमेंट करते हैं, तो यह खबर आपके लिए बेहद जरूरी है। साइबर एक्सपर्ट आर्य त्यागी ने हाल ही में लोकल-18 से बातचीत में इस संबंध में कई चौंकाने वाले तथ्य शेयर किए हैं। आइए, विस्तार से जानते हैं कि कैसे आप साइबर फ्रॉड के शिकार हो सकते हैं और इससे बचने के लिए क्या सावधानियां बरतनी चाहिए।
अनजान लोगों के क्यूआर कोड को स्कैन करने से बचें
साइबर एक्सपर्ट आर्य त्यागी के अनुसार, अगर आप ऑनलाइन लेनदेन करते हैं, तो अनजान व्यक्तियों के क्यूआर कोड को स्कैन करने से बचना चाहिए। उन्होंने बताया कि आजकल कई ऐसे केस सामने आ रहे हैं, जहां लोग कैश के लेनदेन के चक्कर में फंस जाते हैं। फ्रॉडर्स आपसे यूपीआई के जरिए पैसे ट्रांसफर करवा लेते हैं या आपके अकाउंट में पैसे भेज देते हैं। इस तरह वे स्कैम के पैसे को अलग-अलग अकाउंट्स में ट्रांसफर करने की कोशिश करते हैं।
जब ऐसे मामलों की जांच होती है, तो साइबर पुलिस उन सभी लोगों के अकाउंट्स को सीज कर देती है, जिन्होंने इस लेनदेन में हिस्सा लिया होता है। इसलिए, अगर आप किसी अनजान व्यक्ति के क्यूआर कोड को स्कैन करके पेमेंट करते हैं, तो आप भी साइबर क्राइम के दायरे में आ सकते हैं।
50 रुपए के ट्रांजैक्शन में भी हो सकती है कार्रवाई
आर्य त्यागी ने यह भी बताया कि अगर आपने यूपीआई के जरिए सिर्फ 50 रुपए का लेनदेन किया है, तो भी आपके अकाउंट को सीज किया जा सकता है। दरअसल, साइबर फ्रॉडर्स ब्लैक मनी और अन्य अपराधिक गतिविधियों से जुड़े पैसों को अलग-अलग अकाउंट्स में ट्रांसफर करने के लिए इस तरह की पोलिसी अपनाते हैं। वे पैसों को कई लेयर्स में बांट देते हैं, ताकि उनका पता लगाना मुश्किल हो जाए।
इस प्रक्रिया में पहली, दूसरी और तीसरी लेयर को सबसे गंभीर माना जाता है। हालांकि, बाद की लेयर्स में जो लोग शामिल होते हैं, उन्हें भी जांच के दायरे में लिया जाता है। इसलिए, अगर आपके अकाउंट में किसी अनजान व्यक्ति ने पैसे भेज दिए हैं, तो यह आपके लिए मुसीबत का कारण बन सकता है।
लेनदेन की हर हिस्ट्री का रिकॉर्ड रखना है जरूरी
साइबर एक्सपर्ट के अनुसार, इस तरह के मामलों में सबसे ज्यादा जनसेवा केंद्र और साइबर कैफे से जुड़े फ्रॉड देखने को मिल रहे हैं। कई बार तो जनसेवा केंद्र के खाते को ही ब्लॉक कर दिया जाता है। इसलिए, अगर आप जनसेवा केंद्र या साइबर कैफे का उपयोग करते हैं, तो लेनदेन से जुड़ी हर जानकारी का रिकॉर्ड जरूर रखें।
अगर कभी आप जांच के दायरे में आते हैं, तो यह रिकॉर्ड आपके बचाव में काम आ सकता है। इससे आप यह साबित कर सकते हैं कि आपने किसी गलत काम में हिस्सा नहीं लिया है।
साइबर फ्रॉड के मामले में जांच की प्रक्रिया
अगर हम मेरठ की बात करें, तो यहां के विभिन्न थानों में बनी साइबर सेल को इस तरह की कई शिकायतें मिल रही हैं। इनमें से ज्यादातर मामले यूपीआई और क्यूआर कोड के जरिए हुए लेनदेन से जुड़े हैं। जांच के दौरान पता चला है कि इन फ्रॉड में पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश जैसे दूर-दराज के राज्यों के लोग शामिल हैं।
जांच की प्रक्रिया में सबसे पहले प्रथम लेयर का पता लगाया जाता है। इसके बाद संबंधित राज्यों में जाकर अकाउंट सीज करने और अन्य कानूनी कार्रवाई करने की जरूरत पड़ती है। ऐसे में, अगर आप साइबर फ्रॉड के शिकार हो जाते हैं, तो जांच की प्रक्रिया काफी लंबी और थकाऊ हो सकती है।