Uttar Pradesh Circle Rate: गोरखपुर जिले और आसपास के गांवों में रहने वाले लोगों के लिए जमीन और मकान की रजिस्ट्री से जुड़ी एक अहम खबर सामने आई है। अब जल्द ही जिले और तहसीलों के सीमावर्ती गांवों में जमीन और मकान के सर्किल रेट (Circle Rate) में भारी अंतर खत्म हो जाएगा। जिला प्रशासन और रजिस्ट्री विभाग ने इस प्रक्रिया को तेज कर दिया है। संभावना जताई जा रही है कि अगस्त 2025 तक सर्किल रेट में यह बदलाव लागू हो जाएगा।
बॉर्डर के गांवों में अब सिर्फ 10% का अंतर रहेगा
फिलहाल स्थिति यह है कि गोरखपुर और उसके पड़ोसी जिलों या तहसीलों के सीमा वाले गांवों में सर्किल रेट में काफी अंतर है। कहीं-कहीं तो यह अंतर 300% तक पहुंच चुका है। अब प्रशासन के नए फैसले के तहत सीमा वाले गांवों में सर्किल रेट में अधिकतम 10 प्रतिशत का ही अंतर रहेगा।
इस बदलाव का सीधा फायदा उन किसानों और जमीन मालिकों को मिलेगा, जिन्हें अब तक कम सर्किल रेट की वजह से मुआवजे और स्टांप शुल्क में नुकसान हो रहा था।
नौ साल से नहीं बढ़ा था सर्किल रेट
गौरतलब है कि गोरखपुर की सदर तहसील समेत अन्य तहसीलों में अगस्त 2016 के बाद से सर्किल रेट में कोई खास बढ़ोतरी नहीं की गई थी। किसानों और स्थानीय लोगों का कहना था कि बाजार मूल्य की तुलना में सर्किल रेट काफी कम है, जिसकी वजह से जमीन की बिक्री और सरकारी अधिग्रहण में उचित मुआवजा नहीं मिल पा रहा था।
कई किसानों ने तो इस मुद्दे पर आर्बिट्रेशन भी दाखिल किया है। अब सर्किल रेट बढ़ने से उन्हें भी राहत मिलने की उम्मीद है।
किस तरह बदलेगा सर्किल रेट का ढांचा?
प्रशासन के अनुसार, राजस्व गांवों में सर्किल रेट 20 से 50 प्रतिशत तक बढ़ सकता है। हालांकि कुछ गांवों में बाजार मूल्य और सर्किल रेट में यदि बहुत बड़ा अंतर है तो वहां रेट को कम भी किया जा सकता है।
इस बदलाव से यह सुनिश्चित किया जाएगा कि एक ही जिले या तहसील के किनारे वाले गांवों में जमीन का मूल्यांकन बराबरी का हो सके और लोगों को मुआवजा या अन्य लाभ में नुकसान न हो।
क्यों जरूरी था सर्किल रेट में बदलाव?
गोरखपुर के सीमावर्ती गांवों में सर्किल रेट का असमान होना एक बड़ी समस्या बन गया था। उदाहरण के तौर पर, चौरीचौरा इलाके में मुआवजा 4.5 लाख रुपये प्रति एकड़ मिला जबकि देवरिया के एक नजदीकी गांव में यही मुआवजा 25 लाख रुपये प्रति एकड़ दिया गया।
दो जिलों के गांवों के बीच इतने बड़े अंतर ने न सिर्फ किसानों में नाराजगी बढ़ाई, बल्कि कई बार विकास कार्यों में भी बाधा उत्पन्न की। अब प्रशासन इस अंतर को कम करने की दिशा में तेजी से काम कर रहा है।
बॉर्डर के जिलों के अधिकारियों की होगी बैठक
इस प्रक्रिया के तहत सीमावर्ती जिलों के अधिकारियों की बैठक बुलाई जाएगी। बैठक में तय किया जाएगा कि किन इलाकों में सर्किल रेट बढ़ाया जाए और किन इलाकों में इसे कम किया जाए।
राजस्व विभाग और स्टांप विभाग के अधिकारी यह सुनिश्चित करेंगे कि दो जिलों की सीमा पर बसे गांवों में जमीन का मूल्यांकन लगभग एक जैसा हो ताकि भविष्य में किसानों को किसी भी तरह की असमानता का सामना न करना पड़े।
किसानों को मिलेगा लाभ
इस बदलाव से सबसे ज्यादा फायदा किसानों और जमीन मालिकों को मिलेगा। अब जब सर्किल रेट बाजार मूल्य के करीब होगा, तो उन्हें जमीन बेचने पर ज्यादा कीमत मिलेगी और सरकारी अधिग्रहण में भी उचित मुआवजा दिया जाएगा।
साथ ही, जमीन खरीदने और बेचने वालों को भी अब एक जैसी दरें मिलने से पारदर्शिता बढ़ेगी। कई बार सर्किल रेट कम होने पर जमीन के असली सौदों में भी अघोषित लेन-देन की शिकायतें आती थीं, अब ऐसी स्थिति में भी सुधार की उम्मीद है।
सर्किल रेट बढ़ने से बढ़ेगा स्टांप चार्ज
सर्किल रेट बढ़ने का एक असर यह भी होगा कि जमीन और मकान की रजिस्ट्री पर लगने वाला स्टांप शुल्क भी बढ़ जाएगा। प्रशासन ने हाल ही में सामान्य दिशा-निर्देशों में बदलाव कर स्टांप शुल्क में पहले ही बढ़ोतरी कर दी है।
एआईजी स्टांप का बयान
इस मामले में एआईजी स्टांप संजय कुमार दुबे ने कहा है कि “हमने सर्किल रेट में बदलाव की प्रक्रिया शुरू कर दी है। जिले और तहसील की सीमाओं पर बसे गांवों में अब सर्किल रेट में 10 प्रतिशत से ज्यादा का अंतर नहीं रहेगा। यदि जरूरत पड़ी तो कुछ गांवों में सर्किल रेट में कमी भी की जाएगी।”
उन्होंने कहा कि सर्किल रेट को बाजार मूल्य के करीब लाने का प्रयास किया जा रहा है ताकि जमीन मालिकों और किसानों को नुकसान न हो और खरीददारों को भी पारदर्शी रजिस्ट्री व्यवस्था मिल सके।