Bank Check Bounce: आज के डिजिटल युग में ऑनलाइन ट्रांजेक्शन तेजी से बढ़ रहा है, लेकिन फिर भी कई लोग चेक के माध्यम से पेमेंट करना पसंद करते हैं। खासकर बड़े लेन-देन के लिए चेक का उपयोग किया जाता है। हालांकि, चेक से पेमेंट करते समय सतर्क रहना बेहद जरूरी होता है, क्योंकि छोटी-सी गलती चेक बाउंस का कारण बन सकती है। चेक बाउंस होने पर जुर्माना, कानूनी कार्रवाई और यहां तक कि जेल भी हो सकती है। इस आर्टिकल में हम विस्तार से जानेंगे कि चेक बाउंस क्यों होता है, इससे जुड़ी कानूनी प्रक्रिया क्या है और इससे बचने के लिए किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।
चेक बाउंस होने के मुख्य कारण
चेक बाउंस होने के कई कारण हो सकते हैं। इनमें से कुछ सामान्य कारण ये हैं:
- बैंक खाते में बैलेंस की कमी – यदि चेक जारी करने वाले के अकाउंट में पर्याप्त राशि नहीं है, तो बैंक चेक को अस्वीकार कर सकता है।
- सही हस्ताक्षर न होना – अगर चेक पर किए गए सिग्नेचर, बैंक में उपलब्ध हस्ताक्षर से मेल नहीं खाते, तो चेक बाउंस हो सकता है।
- गलत जानकारी भरना – चेक में अकाउंट नंबर, राशि या अन्य विवरण में गलती होने पर भी बैंक चेक को अस्वीकार कर सकता है।
- ओवरराइटिंग या खराब लिखावट – अगर चेक में ओवरराइटिंग या लिखावट अस्पष्ट है, तो बैंक इसे रिजेक्ट कर सकता है।
- डेड्लाइन समाप्त हो जाना – चेक की वैधता जारी करने की तारीख से 3 महीने तक होती है। अगर यह समय सीमा पार हो जाती है, तो चेक बाउंस हो सकता है।
- ओवरड्राफ्ट लिमिट पार करना – यदि खाता धारक की ओवरड्राफ्ट लिमिट समाप्त हो गई है और फिर भी चेक जारी किया गया, तो बैंक इसे रिजेक्ट कर सकता है।
- बंद अकाउंट से चेक जारी करना – यदि जिस खाते से चेक जारी किया गया है, वह पहले ही बंद हो चुका है, तो बैंक उस चेक को अस्वीकार कर देगा।
चेक बाउंस होने पर बैंक का जुर्माना
चेक बाउंस होने पर बैंक ग्राहक से जुर्माना वसूलती है। यह जुर्माना बैंक की पॉलिसी और चेक बाउंस होने के कारणों पर निर्भर करता है।
- विभिन्न बैंकों के अनुसार यह शुल्क ₹150 से लेकर ₹800 तक हो सकता है।
- अगर कोई व्यक्ति बार-बार चेक बाउंस करता है, तो बैंक उस व्यक्ति के खाते पर विशेष प्रतिबंध भी लगा सकता है।
- बैंक केवल चेक जारी करने वाले से ही नहीं, बल्कि चेक प्राप्त करने वाले से भी चार्ज वसूल सकती है।
चेक बाउंस पर कानूनी कार्रवाई और जुर्माना
भारतीय कानून के तहत, यदि चेक बाउंस हो जाता है और एक महीने के अंदर चेक जारी करने वाला व्यक्ति भुगतान नहीं करता, तो कानूनी कार्रवाई की जा सकती है।
- लीगल नोटिस – चेक बाउंस होने के बाद, प्राप्तकर्ता चेक जारी करने वाले को लीगल नोटिस भेज सकता है।
- 15 दिनों का समय – अगर चेक जारी करने वाला व्यक्ति 15 दिनों के भीतर जवाब नहीं देता या भुगतान नहीं करता, तो प्राप्तकर्ता उसके खिलाफ केस कर सकता है।
- सेक्शन 138 के तहत कार्रवाई – ‘Negotiable Instruments Act, 1881’ की धारा 138 के तहत, दोषी पाए जाने पर आरोपी को दो साल तक की जेल हो सकती है या चेक राशि का दोगुना जुर्माना भरना पड़ सकता है।
क्या चेक बाउंस होने पर जेल हो सकती है?
भारत में चेक बाउंस को एक गंभीर अपराध माना जाता है। अगर चेक जारी करने वाला व्यक्ति समय पर पेमेंट नहीं करता है, तो उसके खिलाफ कानूनी कार्यवाही हो सकती है।
- पहली बार अपराध करने पर आमतौर पर कोर्ट आरोपी को भुगतान करने का एक और मौका देती है।
- यदि आरोपी बार-बार चेक बाउंस करता है, तो कोर्ट उसे सख्त सजा दे सकती है, जिसमें ज्यादा से ज्यादा दो साल की जेल और जुर्माना शामिल हो सकता है।
- कई मामलों में अदालत समझौते का ऑप्शन भी देती है, जिसमें आरोपी को चेक की रकम और कुछ एक्स्ट्रा चार्ज भुगतान करना होता है।