केवल रजिस्ट्री करवाने से नही मिलेगा मालिकाना हक, टाइम रहते करवा लेना ये काम Property Registry

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Property Registry: जब कोई व्यक्ति प्रॉपर्टी खरीदता है, तो वह उसे रजिस्टर करवा लेता है और सोचता है कि अब वह प्रॉपर्टी का कानूनी मालिक बन गया है। लेकिन हकीकत में, रजिस्ट्री के बाद भी कुछ महत्वपूर्ण प्रक्रियाएं पूरी करनी होती हैं। अगर इन पर ध्यान नहीं दिया गया, तो भविष्य में कानूनी उलझनें और वित्तीय नुकसान झेलना पड़ सकता है।

सरकारी रिकॉर्ड में दर्ज कराएं नाम

जब आप कोई प्रॉपर्टी खरीदते हैं, तो यह जरूरी होता है कि उसका नामांतरण (Mutation of Property) करवा लें। यह सरकारी रिकॉर्ड में प्रॉपर्टी के मालिकाना हक को दर्ज करवाने की प्रक्रिया है। सिर्फ रजिस्ट्रेशन कराने से आप प्रॉपर्टी के पूर्ण स्वामी नहीं बनते। यदि यह प्रक्रिया नहीं की गई, तो भविष्य में किसी भी कानूनी विवाद में आप प्रॉपर्टी के असली मालिक होने का दावा नहीं कर सकते।

रजिस्ट्री के बाद म्यूटेशन क्यों जरूरी?

रजिस्ट्री केवल स्वामित्व के हस्तांतरण का प्रमाण होती है, लेकिन यह प्रॉपर्टी के मालिकाना हक को पूरी तरह से स्थापित नहीं करती। इसके लिए म्यूटेशन प्रक्रिया जरूरी होती है। इस प्रक्रिया के तहत, सरकारी रिकॉर्ड में पुराने मालिक का नाम हटाकर नए मालिक का नाम जोड़ा जाता है। अगर यह प्रक्रिया पूरी नहीं की गई, तो प्रॉपर्टी पर आपका कानूनी हक साबित करना मुश्किल हो सकता है।

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बिना म्यूटेशन प्रॉपर्टी पर मालिकाना हक नहीं मिलता

अगर आपने रजिस्ट्री करा ली है, लेकिन म्यूटेशन नहीं कराया, तो कानूनी रूप से आप उस प्रॉपर्टी के पूर्ण स्वामी नहीं माने जाएंगे। म्यूटेशन के बिना, पुराने मालिक के अधिकार प्रॉपर्टी पर बने रहते हैं। इससे भविष्य में प्रॉपर्टी को दोबारा बेचने, बैंक से लोन लेने या किसी अन्य कानूनी प्रक्रिया में समस्या आ सकती है।

नामांतरण के बिना क्या हो सकते हैं नुकसान?

अगर किसी व्यक्ति ने प्रॉपर्टी खरीदने के बाद उसका नामांतरण नहीं कराया, तो यह उसके लिए बड़ी परेशानी बन सकता है। इसके कारण ये समस्याएं हो सकती हैं:

  • प्रॉपर्टी पर पुराने मालिक का हक बना रहेगा।
  • प्रॉपर्टी विवाद का कारण बन सकती है।
  • अगर पुराने मालिक ने उस प्रॉपर्टी पर लोन लिया हुआ है, तो वह कानूनी रूप से मान्य रहेगा।
  • प्रॉपर्टी को भविष्य में बेचना मुश्किल हो सकता है।

प्रॉपर्टी खरीदने से पहले इन डॉक्यूमेंट्स की करें जांच

1. टाइटल डीड की जांच करें

जब भी आप कोई प्रॉपर्टी खरीदने जा रहे हों, तो सबसे पहले उसके टाइटल डीड (Title Deed) की जांच करें। यह दस्तावेज यह साबित करता है कि प्रॉपर्टी का असली मालिक कौन है। वकील की मदद से इस दस्तावेज की प्रमाणिकता की जांच जरूर करवाएं।

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2. लोन पेपर्स की जानकारी लें

कई बार प्रॉपर्टी पर पहले से लोन लिया गया होता है। इसे खरीदने से पहले सुनिश्चित करें कि प्रॉपर्टी पर कोई वित्तीय बकाया नहीं है। बैंक स्टेटमेंट और अन्य दस्तावेजों की जांच कर लें कि प्रॉपर्टी पर कोई कर्ज तो नहीं है।

3. प्रॉपर्टी का नक्शा और अन्य पेपर्स जांचें

किसी भी प्रॉपर्टी को खरीदने से पहले उसके लेआउट प्लान, नक्शा और अन्य कानूनी दस्तावेजों को ठीक से पढ़ें। इससे आपको पता चलेगा कि प्रॉपर्टी के चारों ओर का एरिया कानूनी रूप से वैध है या नहीं।

4. एनओसी (NOC) प्राप्त करें

प्रॉपर्टी खरीदने से पहले नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट (NOC) लेना बहुत जरूरी है। अगर आप कोई फ्लैट या प्लॉट खरीद रहे हैं, तो बिल्डर या हाउसिंग सोसाइटी से एनओसी प्राप्त करना न भूलें। यह दस्तावेज साबित करता है कि प्रॉपर्टी पर कोई कानूनी विवाद नहीं है।

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नामांतरण की प्रक्रिया कैसे करें?

अगर आप प्रॉपर्टी के नए मालिक बने हैं, तो आपको ये प्रक्रिया अपनानी होगी:

  1. रजिस्ट्री दस्तावेज – सबसे पहले रजिस्ट्री का दस्तावेज तैयार कराएं और उसे सुरक्षित रखें।
  2. नगर निगम या तहसील में आवेदन करें – प्रॉपर्टी का नामांतरण कराने के लिए संबंधित नगर निगम या तहसील कार्यालय में आवेदन करें।
  3. सभी जरूरी दस्तावेज जमा करें – नामांतरण के लिए प्रॉपर्टी टैक्स रसीद, सेल डीड, पहचान पत्र और अन्य जरूरी दस्तावेज जमा करें।
  4. फीस जमा करें – प्रॉपर्टी के प्रकार के आधार पर नामांतरण के लिए निर्धारित चार्ज अदा करें।
  5. रिकॉर्ड अपडेट की पुष्टि करें – आवेदन करने के कुछ समय बाद संबंधित विभाग से संपर्क करके यह सुनिश्चित करें कि रिकॉर्ड अपडेट हो गया है या नहीं।